नई दिल्ली.
भारत में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के धीरे-धीरे पैर पसारने के बाद तीसरी लहर का खतरा बढ़ता जा रहा है. ओमिक्रॉन के मामलों में तेजी से हो रही बढ़ोत्तरी के बाद अब इम्यूनिटी और संक्रमण से बचाव को लेकर बहस छिड़ गई है. साथ ही कोरोना वैक्सीन से पैदा होने वाली प्रतिरोधक क्षमता के अलावा संक्रमण के बाद पैदा होने वाली इम्यूनिटी को लेकर भी अध्ययन और शोध चल रहे हैं.
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान बीबी नगर तेलंगाना के निदेशक डॉ. विकास भाटिया कहते हैं कि मानव शरीर अपनी प्राकृतिक या सहज प्रतिरक्षा से कई तरह के संक्रमण को दूर रख सकता है. इसके अलावा वायरस या संक्रमण के संपर्क में आने के बाद उसके प्रति शरीर में भी प्रतिरक्षा विकसित हो जाती है. कुछ ऐसे भी विषाणु होते हैं जिनमें व्यक्ति को गभीर रूप से बीमार, अपंग या फिर मृत्यु तक पहुंचाने की क्षमता होती है. हालांकि वैक्सीन या टीका ऐसे संक्रमण के खिलाफ शरीर में मजबूत प्रतिरक्षा विकसित करने में सहायता करते हैं.
डॉ. भाटिया कहते हैं कि भारत में दूसरी लहर के बाद एक बड़ी आबादी उस श्रेणी में आती है जिनमें हाईब्रिड इम्यूनिटी या हाईब्रिड प्रतिरक्षा विकसित हो गई है. हाईब्रिड इम्यूनिटी से आशय ऐसे लोगों से है जिनको कोविड वैक्सीन की दोनों डोज भी लग चुकी है और उन्हें संक्रमण भी हो चुका है. अध्ययन कहते हैं कि इस तरह की प्रतिरक्षा कोविड संक्रमण के प्रति अधिक मजबूत सुरक्षा प्रदान करती है.
ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन से तात्पर्य कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लग जाने के बाद होने वाला संक्रमण है. यानि कि अगर कोई व्यक्ति पूरी तरह वैक्सीनेटेड होने के बाद भी संक्रमित हो जाता है और ठीक होता है तो उसमें ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन के बाद वाली इम्यूनिटी पैदा होती है. जिसे विशेषज्ञ सुपर इम्यूनिटी या सुपर प्रतिरक्षा भी कह रहे हैं.ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन के बाद पैदा हुई इम्यूनिटी और हाईब्रिड इम्यूनिटी वैसे तो लगभग एक ही है लेकिन इनमें बारीक अंतर है.
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