जब से संसद में ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार विधेयक 2021’ पेश हुआ है, तब से देश की राजधानी दिल्ली की राजनीति में घमासान शुरू हो गया है। दिल्ली के प्रशासन की ऐतिहासिक विकास यात्र कैसी रही है? इसे लेकर अतीत में कैसे-कैसे विचार आए हैं? इसे भी दिल्ली और भारत के नागरिकों को जानना चाहिए। यह सच है कि कभी हस्तिनापुर तो कभी दिल्ली के नाम वाला यह शहर महाभारत काल से लेकर सल्तनत काल होते हुए मुगल काल तक देश की शासन व्यवस्था का केंद्र रहा...
यह भी सच है कि 1857 के पहले स्वाधीनता संग्राम की नाकामी के बाद पूरे देश पर अंग्रेजों का कब्जा हो गया तो अंग्रेजों ने इसका रुतबा घटा दिया था। तब इसे तत्कालीन पंजाब सूबे का एक जिला भी नहीं बनाया, बल्कि मेहरौली जिले में इसे समाहित कर दिया था। हालांकि बाद में 12 दिसंबर, 1911 को तत्कालीन अंग्रेज सरकार ने इसे पंजाब सूबे से अलग करके राष्ट्रीय राजधानी का इलाका घोषित किया और सीधे केंद्रीय नियंत्रण में चीफ कमिश्नर के अधीन कर लिया। अंग्रेजी व्यवस्था में दिल्ली जब राष्ट्रीय राजधानी बनी तो उसे शासन का एक...
ऑस्ट्रेलिया की संघीय राजधानी कैनबरा में दिल्ली जैसी छोटी विधानसभा है, लेकिन वहां की विधानसभा और राज्य सरकार भी केंद्रीय प्राधिकरण के अधीन ही काम करती है। इसकी वजह यह है कि राष्ट्रीय राजधानी होने की वजह से कैनबरा की अपनी जरूरतें हैं और वहां प्रशासन में अगर खींचतान चली तो दूतावासों, केंद्रीय दफ्तरों के साथ विवाद हो सकता है। जो देश और जनता की सेहत के लिए अच्छा नहीं होता। विवाद वहां भी होता है, लेकिन आखिरी फैसला केंद्र सरकार का ही माना जाता है। अगर विवाद होता रहा तो यह तय है कि आने वाले दिनों में...
इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें
Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।
स्रोत: AajTak - 🏆 5. / 63 और पढो »
स्रोत: NBT Hindi News - 🏆 20. / 51 और पढो »
स्रोत: AajTak - 🏆 5. / 63 और पढो »
स्रोत: NBT Hindi News - 🏆 20. / 51 और पढो »
स्रोत: AajTak - 🏆 5. / 63 और पढो »