नीलू रंजन, नई दिल्ली। नई आपराधिक न्याय प्रणाली में सुगम और त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए समुचित प्रविधान किये गए हैं। लेकिन इसे पूरी तरह जमीन पर उतारने के लिए मशक्कत करनी होगी। पूरी तरह से डिजिटल और फॉरेंसिक पर ज्यादा जोर देने वाली इस प्रणाली को पूरी तरह से लागू करने में चुनौतियां भी अपार है। सभी थानों और अदालतों में इंटरनेट कनेक्टिविटी, बिजली की सुचारू आपूर्ति, पावर बैकअप की व्यवस्था, क्राइम सीन से सबूत जुटाने के लिए सभी जिलों में पर्याप्त फॉरेंसिक एक्सपर्ट की तैनाती और मोबाइल फॉरेंसिक...
है। ऐसी स्थिति पुलिस जांच से लेकर अदालती सुनवाई तक प्रभावित हो सकती है। नए आपराधिक कानूनों में फॉरेंसिक पर अत्यधिक जोर है। इसके लिए सभी जिलों में पर्याप्त संख्या में फॉरेंसिक एक्सपर्ट और मोबाइल फॉरेंसिक वैन की जरूरत पड़ेगी। देश में कुल 885 पुलिस जिले हैं, जिनमें इस साल जनवरी तक केवल 75 जिलों में मोबाइल फॉरेंसिक लैब उपलब्ध था। तीन कंपनियों के मोबाइल फॉरेंसिक वैन के डिजाइन को मंजूरी दी गई थी और राज्यों को इन्हें खरीदने को कहा गया था। लेकिन अभी तक ये आंकड़े उपलब्ध नहीं है कि पिछले छह महीने में...
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