विधानसभा में यादव, ब्राह्मण के साथ क्षत्रिय मतदाता की भूमिका निर्णायक साबित होती है। इस सीट पर सपा और निर्दलीय प्रत्याशी धनंजय सिंह के बीच हर बार कांटे का मुकाबला होता है। मल्हनी विधानसभा सीट का अस्तित्व 2012 के परिसीमन के बाद आया। इससे पहले यह रारी के रूप में जाना जाता था। रारी में 1996 में सपा के श्रीराम जीते। 2002 में निर्दल धनंजय सिंह, 2007 में फिर धनंजय सिंह जनता दल से विधायक हुए। 2009 में धनंजय सिंह बसपा के सांसद हुए तो उपचुनाव...
धनंजय सिंह ने अपने पिता को चुनाव लड़ाया और वह भी चुनाव जीत गए। बसपा से 2012 में रारी का भौगोलिक क्षेत्र बदल गया और बक्शा, सिकरारा, सिरकोनी और करंजाकला ब्लॉक के गांवों को मिलाकर मल्हनी विधानसभा सीट बनी। मल्हनी में सपा से पारसनाथ यादव ने निर्दल जागृति सिंह को हराकर चुनाव जीता। 2017 में सपा के पारस नाथ यादव ने निषाद पार्टी के धनंजय सिंह को हराया। पारस नाथ यादव के निधन के कारण साल 2020 में हुए उपचुनाव में सपा के लकी यादव ने निर्दल धनंजय सिंह को हरा...
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