लखनऊ. वैसे तो हर मां अपने बच्चे पर जान न्यौछावर करती है. लेकिन, कुछ मां ऐसी भी होती हैं, जो दूसरों के बच्चों पर भी वैसा ही प्यार लुटाती हैं जैसा वे अपने बच्चों से प्यार करती हैं. लखनऊ के ऐशबाग स्थित लीलावती मुंशी बालिका बालगृह की देखरेख करने वाली माया हंस भी ऐसी ही एक मां हैं. एक वक्त था जब यहां पर पूरा परिसर 100 से 200 बच्चियों से भरा रहता था. बालगृह के अंदर और बाहर हर वक्त किशोरियों और बच्चियों के चहकने की आवाजें आती थी. लेकिन, अब यह बालगृह सुनसान है.
इन्होंने अब तक दस हजार से भी ज्यादा लड़कियों और बच्चियों की जिंदगी बनाई. यहां से जा चुकी लड़कियां हर साल 25 दिसंबर को माया हंस के जन्मदिन पर उनसे मिलने आती हैं. इकलौते बेटे को खो दिया माया हंस जो 34 सालों से बच्चियों और किशोरियों की देखभाल एक मां की तरह कर रही है उनसे जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने खुद के इकलौते बेटे को दो साल पहले ही खो दिया. अब इस दुनिया में वह पूरी तरह से अकेली हैं.
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