ने करीब तीन साल पहले निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी। दिल्ली की ट्रायल कोर्ट ने दोषियों को फांसी देने के लिए 22 जनवरी का दिन तय किया था। लेकिन ऐसा लगता है कि इन दोषियों ने कानूनी प्रक्रिया को एक चक्रव्यूह की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं और लगातार इनकी सजा में देरी हो रही है। इनके वकील तभी से एक के बाद एक याचिकाएं दायर कर रहे हैं। आज सुप्रीम कोर्ट केंद्र की याचिका पर सुनवाई करेगी जिसमें दोषियों को अलग-अलग फांसी देने की मांग की गई...
सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों की रिव्यू और क्यूरेटिव पिटिशन खारिज कर दी। इसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट में पवन गुप्ता द्वारा दायर एक याचिका में दावा किया गया कि 16 दिसंबर, 2012 में क्राइम के वक्त एक दोषी नाबालिग था। हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट में भी उसकी अपील खारिज कर दी गई। मुकेश सिंह, विनय शर्मा और अक्षय ठाकुर ने फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदलने के लिए राष्ट्रपति के पास दया याचिका की गुहार लगाई।अब केंद्र ने 5 फरवरी को दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा दिए गए उस फैसले को...
शीर्ष अदालत को भी फांसी में देरी के लिए अपनाए जा रहे इन तरीकों का पता है। लेकिन वह एडवोकेट ए पी सिंह और वृन्दा ग्रोवर द्वारा दायर की गई याचिकाओं को सुनने के अलावा कोई विकल्प नहीं है क्योंकि दोषियों के पास कानूनी विकल्प आजमाने का हक है। हाई कोर्ट द्वारा दिए गए 7 दिन का वक्त पूरा होने पर विनय शर्मा ने राष्ट्रपति द्वारा उसकी दया याचिका को खारिज करने की चुनौती सुप्रीम कोर्ट में दी।कई बातों को आधार बनाते हुए दोषी विनय शर्मा के वकीलों ने दावा किया कि वह मानसिक तौर पर बीमार है और फांसी के लिए स्वस्थ...
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