Indian Currency Rules: सरकार के पास मशीन है फिर भी मनमर्जी से क्यों नहीं छाप सकते नोट?

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सरकार के पास मशीन है फिर भी मनमर्जी से क्यों नहीं छाप सकते नोट? BudgetSession2022 via NavbharatTimes

हर साल 1 फरवरी को भारत का आम बजट पेश होता है। बजट की चर्चा के दौरान आम लोगों के मन में कई सवाल पैदा होते हैं। जैसे कि बजट में पैसों की कमी होने पर सरकार लोन लेने की जगह नोट क्यों नहीं छाप लेती? अगर सरकार के पास ही नोट छापने की पावर है तो ज्यादा नोट छापने में क्या दिक्कत है? आपको इसके पीछे की पूरी कहानी बताते हैं...

अगर जरूरत से ज्यादा नोट छाप दिए तो देश में महंगाई बढ़ सकती है।इसे समझने के लिए हमें सबसे पहले यह समझना होगा कि कैसे किसी प्रॉडक्ट की मांग उसकी कीमत से जुड़ी है। इसे एक उदारहण के जरिए समझते हैं। मान लिजिए कि देश में किसी किताब की 1 हजार प्रतियां हैं, हर किताब की कीमत 100 रुपये है और सरकार की ओर से अर्थव्यवस्था में सप्लाई किया गया पैसा 1 लाख है। अगर सरकार 1 लाख की जगह दोगुना पैसा सप्लाई कर दे तो किताबें उतनी ही हैं लेकिन लोगों के पास ज्यादा पैसे हैं और वे किताब खरीदने के लिए ज्यादा कीमत देने में...

 

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ek bar machine Public ko de do fir dekho kitne note chhapte hai

अपनो अपनो को देने और देने के तरीके हजार तो छपाई का खर्च क्यो शायद 40लाख करोड़ का कुल बजट दिन 365 केलिऐ 5 दिन मे केवल केवल और केवल केवल 5दिन मे केवल शेयर बाजांर मे किऐ 20लाख करोड़ इधर उधर! जय हो!!😁

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