खास बातेंनई दिल्ली: मशहूर शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की कविता 'हम देखेंगे लाजिम है कि हम भी देखेंगे' को लेकर बढ़ते विवाद के बाद आईआईटी कानपुर ने एक समिति कठित की है जो यह तय करेगी कि फैज की नज्म 'हिंदू विरोधी' है या नहीं. आईआईटी कानपुर के छात्रों ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों के समर्थन में परिसर में 17 दिसंबर को फैज की ये नज्म गाई थी जिसको फैकल्टी के सदस्यों ने 'हिंदू विरोधी' बताया था.
3. फैज़ ब्रिटिश भारतीय सेना में भर्ती हुए और सेवाएं दी. लेकिन विभाजन के वक़्त उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और लाहौर वापस आ गए. लाहौर वापस आने के बाद उन्होंने इमरोज़ और पाकिस्तान टाइम्स का संपादन किया. 5. फैज़ अहमद फैज़ 1955 में जेल से वापस आए. फैज़ ने अपना लेखन जारी रखा और इसी बीच उन्हें देश से निकाल दिया गया. देश से निकाले जाने के बाद उन्होंने कई साल लंदन में बिताए.
7. 1977 में तत्कालीन आर्मी चीफ जिया उल हक ने पाकिस्तान में तख्ता पलट किया. जिया उल हक के शासन के खिलाफ फैज ने ‘हम देखेंगे' नज़्म लिखी थी.
देश द्रोहियों नमकहरामों देश के गद्दारों का एन डी टी वी वाले ही बता सकते हैं ।
Enke dharme me to Sar kat dete to sunta hai use hi taget kro.
उनकी नज्म भी हिन्दू विरोधी और नब्ज भी हिन्दू विरोधी
जो लौह-ए-अज़ल में लिख्खा है जब ज़ुल्म-ओ-सितम के कोह-ए-गिराँ रूई की तरह उड़ जाएँगे
हम देखेंगे 👇👇
जो भी हो हमको कोई मतलब नहीं है। आगर हिंदू विरोधी है तो इस पर प्रतिबंध लगा 😖 चाहिए।
फ़ैज़ एक हवा का नाम है जो धरती पर कुछ वक्त के लिए बही, जो इस हवा को दायरे में रख कर देखते हैं वो अपरिपक्व बुद्धि के सिवा कुछ नहीं।
Ye Wahi log hindu virodhi bta rhe h ...jinko poetry ki zra si b knowledge nhi h
हम ज़रूर देखेंगे।इंशाल्लाह
साब अनलहक का मतलब बहुत अनूठा होता है। जो मतलब अह्म ब्रह्मास्मि का मतलब होता है वही मतलब अनहलक का होता है। जो इस्लाम के अनुसार कुफ़्र(इस्लाम विरोधी)है। इस नारे की वजह से मंसूर को काट दिया गया था। फ़ैज़ साब ने इसे इन्कलाबी नज्म के तौर पर पेश तो किया लेकिन है ये अत्यंत आध्यात्मिक।
हिंदू विरोधी तो तुम लोग भी हो हिंदू का तो आरती करना भी तुम्हें साम्प्रदायिक लगता है और उनका तो क़त्ल करना भी धार्मिक आस्था
Hum bas itna jante Hain ki ek krantikari the aur desh KO Aazadi dilane me inka bhi haath tha hum nhi jante Hain ki ye Hindu the ya Muslim aur hum janna bhi nhi chahte hain kanhaiyakumar narendramodi indiatvnews Zakirism FarOutAkhtar ANI BeingSalmanKhan Khwaja7867
This is called digging the past and burying future.. FaizAhmedFaiz
ये साले तथाकथित कम्युनिस्ट.... कविता में अल्लाह का गुणगान करते है...और हिंदुओं की बुराई। इसे कब्र से निकाल कर फांसी दो।
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