Buddha PurnimaHina KhanRohit Sarafजैसे पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती, वैसे ही नौकरी की भी कोई उम्र नहीं होती. ..बस व्यक्ति क्वालिफ़ाइड और फिट होना चाहिये. ..आपने नोट किया होगा कि बीते वर्षों में कई लोग सिविल सर्विस से पॉलिटिक्स में शिफ्ट हुए हैं. .किसी कमीशन के हेड बने हैं, आर्मी या जुडिशरी से फ्री हुए तो गवर्नर, एमपी या मिनिस्टर भी बने हैं. कौन सा प्रोफ़ाइल कहां फिट हो जाए, कह नहीं सकते.
पश्चिम बंगाल में एक जज ने अपना रिटायरमेंट प्लान अनाउंस किया है....इतना ही नहीं, खुद अनाउंस किया है कि जज बनने से पहले वो RSS के स्वयंसेवक थे, और अब जबकि जज की पोस्ट से रिटायर हो रहे हैं तो एक बार फिर RSS में काम करना चाहेंगे.कलकत्ता हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज चितरंजन दास ने ये अनाउंसमेंट कल ही अपनी फेयरवेल पार्टी में किया है... कल उनका लास्ट वर्किंग डे था. रिटायर्ड जस्टिस चितरंजन ने ये भी कहा कि उनके संघ स्वयंसेवक होने को उनकी 37 साल की जुडिशियल सर्विस से ना जोड़कर देखा जाए.
आम तौर पर इतने बड़े ओहदों पर बैठे लोग रिटायरमेंट के बाद नया CV तैयार करते हैं. आइडियोलॉजी को लेकर किधर झुकाव रखते हैं या उनकी केमिस्ट्री किससे मैच करती है, रिटायरमेंट तक बताते नहीं हैं. . रिटायर्ड जस्टिस चितरंजन दास कोलकाता हाईकोर्ट में उन्हीं अभिजीत गंगोपाध्याय के साथी जज रहे हैं जिन्होंने दो महीने पहले ज्युडिशियल सर्विस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की थी, और इस वक्त तमलुक सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं.
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