इस विधि को एलोजेनिक स्टेम सेल प्रत्यारोपण कहा जाता है। सफदरजंग अस्पताल में कुछ महीने पहले बोन मैरो प्रत्यारोपण यूनिट की शुरुआत हुई थी। फिलहाल, इसमें मरीज से ही बोन मैरो लेकर रोग का इलाज किया जा रहा है। इस विधि को ऑटोलोगस स्टेम सेल प्रत्यारोपण कहा जाता है। मौजूदा समय में इन दोनों विधियों की सुविधा एम्स में उपलब्ध है। एम्स के बाद अब सफदरजंग अस्पताल में भी दोनों विधियों से प्रत्यारोपण की सुविधा मिलेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि सफदरजंग अस्पताल में खून से जुड़े विकार के हर साल सैकड़ों लोग आते हैं।...
बताया कि हीमोफीलिया से पीड़ित मरीज में खून नहीं बनता। यह जीन से जुड़ी हुई बीमारी है। रक्त बोन मैरो से बनता है। डॉक्टरों का कहना है कि दवाओं से मरीज के रक्त को खत्म कर दिया जाता है। उसके बाद परिवार के सदस्य से मैच हुए बोन मैरो प्रत्यारोपण कर दिया जाता है। यह काफी कारगर विधि है। इसमें मैचिंग बोन मैरो मिलना मुश्किल होता है। इसके अलावा कई बार संक्रमण भी हो जाता है। अस्पताल में ऑटोलोगस विधि की सुविधा मौजूद सफदरजंग अस्पताल में बोन मैरो प्रत्यारोपण के लिए ऑटोलोगस स्टेम सेल प्रत्यारोपण की सुविधा मौजूद...
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