CJI बोब्डे बोले- डॉ. अंबेडकर चाहते थे संस्कृत बने राष्ट्रीय भाषा

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CJI बोब्डे बोले- डॉ. अंबेडकर चाहते थे संस्कृत बने राष्ट्रीय भाषा, उत्तर-दक्षिण को देख प्रस्ताव भी तैयार किया था

भारत के मुख्य न्यायाधीश शरद बोबड़े ने बुधवार को दावा किया कि बाबासाहेब अंबेडकर ने संस्कृत को भारत की राष्ट्रीय भाषा बनाने का प्रस्ताव तैयार किया था, लेकिन इस कदम पर आगे कोई काम नहीं हुआ। जस्टिस बोबड़े नागपुर में महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के शैक्षणिक भवन के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे। बुधवार को ही डॉ.

अंबेडकर की जयंती भी थी। जस्टिस बोबड़े ने कहा, “मैं सोच रहा था कि मुझे किस भाषा में बोलना चाहिए, मराठी या अंग्रेजी। यह दुविधा हमारे देश में लंबे समय से देखी जा रही है। मैंने इस सवाल को बार-बार देखा है कि अदालतों को किस भाषा में काम करना चाहिए। हमारे पास आधिकारिक भाषा अंग्रेजी और हिंदी के साथ उच्च न्यायालय हैं। कुछ तमिल चाहते हैं, कुछ अन्य तेलुगु चाहते हैं। मैं विनम्रतापूर्वक कहना चाहता हूं कि कोई भी इस विषय पर ध्यान नहीं दे रहा है। हालांकि, डॉक्टर अंबेडकर ने इसको पहले ही भांप लिया था, और एक...

 

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राष्ट्रभाषा के लिये आवश्यक है कि वह जनभाषा हो। हमारे बहु भाषि , बहुबोलिये देश में संस्कृत इस आवश्यकता को पूरा नहीं करती।राष्ट्रभाषा बनाये जाने पर वह मात्र अलंक्रृत हो कर रह जाती जिसे सिर्फ किताबों में पास होनेके लिए विद्यार्थी पढ़तेबोलताकोईनहीं हिन्दीभीआंशिकरूप सेहीइसेपूराकरतीहै

संस्कृत कभी भी जनभाषा नहीं थी। न पाली के समय न हिन्दी के आगमन के समय।यह ब्राह्मण पंडितों के एक समूह तक सीमित थी। आम बोल चाल कीभाषा कभी नहीं रही। यही कारण है कि रीति काल एवं भक्ति काल के सभी कवियों ने आम जन की जुब़ान में अपनी रचनायें लिखीं।तुलसीदासजीनेभी अवधी मे लिखा।

बिलकुल !💐

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