आध्यात्मिक गुरु सदगुरु ने अपने एक हालिया इंटरव्यू में चिंता जताई है कि भारत में नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी के ख़िलाफ़ विरोध का माहौल भारतीय अर्थव्यवस्था के रास्ते में एक बड़ा रोड़ा है.दूसरी तरफ अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष समेत तमाम दूसरी वित्तीय संस्थाएं भी भारत की अर्थव्यवस्था की धीमी गति के कारण उसके भविष्य को लेकर सवाल उठा रही हैं.
वो कहती हैं,"कई समस्याएं पहले से ही थीं जिनका सरकार ने निराकरण नहीं किया. इनमें कृषि क्षेत्र की समस्याएं अहम हैं. लेकिन मोदी सरकार के कुछ कदमों की वजह से कुछ समस्याएं काफ़ी बढ़ गयी हैं. उदाहरण के लिए, बैंकों में एनपीए समस्या है. सरकार ने इस समस्या के निदान के लिए कुछ कदम उठाए तो हैं लेकिन आरबीआई के बताए कदमों को पूरी तरह लागू नहीं किया गया है."
पूजा मेहरा मानती हैं कि जीएसटी के क्रियान्वन में कई समस्याएं हैं जिन्होंने व्यापारियों की कमर तोड़ दी है. "और तो और हमें ये भी नहीं पता है कि इन सबका असर कितना हुआ है क्योंकि जीडीपी से जुड़े आंकड़ों से लेकर रोज़गार आदि के आंकड़ों के साथ इतनी छेड़खानी हो गई है कि अर्थव्यवस्था में सही-सही कितनी समस्या है, इसका आकलन करना भी मुश्किल हो रहा है."
नोबेल पुरुस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी ने भी कहा है कि अधिनायकवाद और आर्थिक समृद्धि के बीच किसी तरह का रिश्ता नहीं हो सकता है.क्या सीएए के विरोध के कारण हो रहा है नुक़सान? "पड़ोसी पाकिस्तान भी इसका एक बड़ा उदाहरण है, वहां पर जीडीपी ग्रोथ घट जाती है. क्योंकि सरकार का ज़्यादातर पैसा सेना और आंतरिक सुरक्षा जैसे मदों में खर्च होने लगता है. इससे आर्थिक वृद्धि पर फर्क पड़ता है."
Muslim women remain always in burkha how they are protesting openly is protest is only to destabilize modi , make protest for economy not for CAA
इन्हें देश की अर्थ वियवस्ता से ज्यादा दिल्ली की सत्ता की चिंता है
pakodanomix
Hindu bhai log khush hain automatic ardhvyavastha theek hai, Desh ko Hindu Muslim karke political leader ko bumper winning ho rahi, Full majority hai fir bhi (smart Indian ko pata hoga)only promis
अर्थव्यवस्था बाद में CAA पहले होना चाहिए
यह सरकार अर्थव्यवस्था पर ध्यान भटकाने के लिए caa से ले कर आई है इन्हें अर्थव्यवस्था से कोई मतलब नहीं है इन्हें बस मतलब है अपनी राजनीति से अपने राजनीतिक एजेंडे को लागू करने से
Bhai aap ki arthvyavastaa to thik hai naa
पढे़ और टेशंन ना ले जल्द ही भिखारी बनने वाले है धर्म की अफीम के नशे के उन्माद मे कूदते धर्मोन्मादी भक्त..... 🤗😂😂
..2. लिच्छवि कालीन गणतंत्र वे गणतंत्र रहे जहाँ राजा हटा रेवेन्यु मांगने से और घराने जो रेवेन्यु न देते राजा बने ऐक गणतंत्र में हजारों - राजा हटा कर! कुछ राजा गढे जन वसूली को जल्दी गणतंत्र ढह गऐ! आज ये राजा State AS IAS IPS और राजा घराने पारख शाह लोढा! तब के अन् ईश्वर वादी! !
माहौल हड़ताल प्रदर्शन काहै और इससे निवेशक पर्यटक होता सबसे प्रभावित! परन्तु मोदी जी जानते मित्रोंको न विदेशी निवेशक चाहिए न पर्यटक उन्हें तो चाहिए सनातन का लहू इनसे लिया निवेश लौटाना नहीं पड़ता! सांघी मोदी पारख शाह लोढा हो या धम्माणी! ...2.
BBC should look into their country. How british people are going to vanish in few years, become caliphate of england. Sweden is on the way.
अर्थव्यवस्था गयी तेल लेने रुहयीया देश में से जब तक न भागते अर्थव्यवस्था कैसे सुधार सकती है। दूसरा अर्थव्यवस्था के लिए हमने मोदी को नहीं चुना है 😂 😂 😂 😂
अर्थव्यवस्था बहुत अच्छा करेगी आप पाकिस्तान का देख लो, रोटी का तो जुगाड़ करवाओ, इंडिया मे टेंशन ना लो।
Pakure bech kr
अब मेरा अकाउंट एनपीए हो सकता है इसी कारण कुछ चीजें इसमें सत्य है लेकिन इससे सीए एनआरसी से कोई मतलब नहीं
मेरे साथ घटित हो रहा है एनपीए ना होने के बावजूद लोन नहीं मिल रहा है एक था उससे अच्छा चल रहा था लेकिन अब नहीं बैंक डर रही है
BCC टेंशन ना ले , जरूरत पड़ी तो हम हमारे AC पैसे दे देंगे सरकार को लेकिन सरकार तो BJP ही चाहिए , हम देश के लिए कुछ भी सहलेंगे ।
सही बात सारे मुसल्लो को भगाओ
अर्थ्यवस्था देखने को सरकार है,आप अपनी क्वालिटी देखो खबरों की,हर पोस्ट पर लोगो से बुरा सुनते हो।
No one will talk about it. People are so busy with caa nrc that economy is being ignored. Modi is Happy with it.
हमारे देश में जितने टॉयलेट है, उतनी जगह अगर जोड़ ले तो इंग्लंड बन जाएगा। एक दो चौराहे को भारत देश मत समझना।
इसी माहौल में 120 करोड़ मिला है, 500 प्रतिदिन मिल रहा है। तुम ब्रिटेन की चिंता करो उसका कैसा फलेगा फूलेगा, इयू से भाग रहा है।
Few thousands cannot prevent 130 crores indians to grow. We are very big country, thousands agitation with media and foreign enemy supports, cannot prevent our growth.bad luck in india, enemy are within.
राष्ट्र के लिए आर्थिक मंदी से कहीं ज़्यादा घातक बौद्धिक मंदी है। आर्थिक मंदी अस्थायी कष्टकारक होती है लेकिन बौद्धिक मंदी दीर्घस्थायी विनाशकारक होती है। पैसा भले कम हो लेकिन सोच सही हो। शाहीन_बाग_मे_हिलती_कार IndiaSupportsCAA IndiaSupportsCAA_NRC IndiaSupportsCAA_NRC_NPR
बीबीसी, तेरे बाप नरेंद्र मोदी जी को अर्थव्यवथा की तुझसे ज्यादा चिंता है तुम देश के गद्दारों की गुलामी करो, हम भक्तो का उल्लू मत बनाओ।
BBC भाई तब क्या अर्थव्यवस्था अफगानिस्तान और पाकिस्तान के हालात में सुधरेगी भारत बहुत बड़ा देश है, हजार पांच सौ आदमी हमेशा यहाँ दाद खाज खुजली पैदा करते रहता है और ऐसा बहुत सारे देशों में होता है ब्रेक्सिट का भी टेस्ट कड़वा ही था
हमें अर्थव्यवस्था से ज्यादा राममंदिर, तीन तलाक, 370 और पाकिस्तान पाकिस्तान करते रहना चाहिए। अर्थव्यवस्था तो अपने आप सुधर जायेगी।
तो माल by एयर भेज देतें हैं तब तो फूलेगी व् फलेगी ?
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