इंडिया टुडे ग्रुप के सालाना बिजनेस इवेन्ट माइंडरश के 7वें संस्करण के 'कॉरपोरेट चाणक्य' सत्र में मैनेजमेंट गुरु डॉक्टर राधाकृष्णन पिल्लई ने बताया कि चाणक्य नीति कहती है कि एक लीडर के पास एक दो साल नहीं बल्कि 100 साल का प्लान होना चाहिए. लीडर की कामयाबी उसकी रणनीति पर निर्भर करती है. उनके नेतृत्व की सबसे बड़ी चुनौती तब आती है जब उनके सामने 'धर्म संकट' आता है और उसमें से 'क्या करें और क्या न करें' में से किसी एक को चुनना होता है.
माइंड रश के 7वें संस्करण में पिल्लई ने कहा कि चाणक्य नीति कहती है कि लीडर को बुजुर्गों के साथ लगातार बात करते रहना चाहिए जिससे उसे पिछली घटनाओं और उनके अनुभवों की जानकारी मिल सके. उससे लगातार संपर्क में रहना चाहिए होता है. इसके अलावा ऐटिटूड भी काफी अहम होता है, लीडर का ऐटिटूड एक पिता की तरह होना चाहिए, न सुखकारी न हितकरी.उन्होंने कहा कि लीडर की एनर्जी पर ही टीम की एनर्जी निर्भर करती है. दुनिया में ज्यादातर लीडर शांत रहते हैं और शांतिपूर्वक तरीके से काम करते हैं.
पिल्लई ने कहा कि चाणक्य का अर्थशास्त्र बेहद साधारण है और व्यवहारिक किताब है जिसमें साम, दाम, दंड भेद की बात कही गई है. चाणक्य अनुशासन की बात करता है. ऐसा नहीं है कि अर्थशास्त्र चाणक्य के समय आया. चाणक्य ने खुद माना कि उनसे पहले के 14 लोगों को अर्थशास्त्र की जानकारी थी, वो पहले गुरु नहीं हैं जिन्हें इस शास्त्र के बारे में पता था.डॉक्टर राधाकृष्णन पिल्लई ने कहा कि अर्थशास्त्र लीडरशीप पर बात करता है. एक लीडर की सबसे बड़ी चुनौती होती है कि सही लोग को सही काम मिले.
Thats true
Our Leaders are not Leaders they were guided to become leaders to take over the functioning of the Two Countries India and Pakistan. So nobody was knowing the meaning of Democracy as a new Learners of English and as Lawyers and Advocates.
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