BHU कोवैक्सीन शोध केस: पांच साल में नौ और पांच महीने में पब्लिश करा लिए चार रिसर्च पेपर; पढ़ें- पूरा मामला

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दोनों ने एक दो नहीं बल्कि कोरोना और कोविड वैक्सीन पर पिछले पांच साल में नौ रिसर्च पेपर का प्रकाशन कराया है।

कोवैक्सीन के दुष्प्रभाव पर प्रकाशित शोध के मामले में आईएमएस की ओर से गठित जांच कमेटी में अलग-अलग पब्लिकेशन को शामिल किया गया है। सभी रिसर्च पेपर में दोनों के नाम शामिल हैं। तीन में आईसीएमआर, बीएचयू इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस और दो में हरियाणा स्थित महर्षि मार्कण्डेयश्वर यूनिवर्सिटी जैसे शैक्षणिक संस्थान का भी सहयोग मिला है। कोवैक्सीन पर दुष्प्रभाव वाले शोध की आईएमएस के स्तर पर गठित जांच कमेटी अपनी जांच कर रही है। प्रथम दृष्टया तथ्यों की कमी, मरीजों से टेलीफोन पर बात कर जानकारी लेने, बिना आईसीएमआर...

उपिंदर उनकी पत्नी हैं। खास बात यह है कि साल 2020 में दो और 2021 में सर्वधिक चार रिसर्च पेपर का प्रकाशन कराया गया। इस बारे में पूछे जाने पर प्रो. चक्रवर्ती का कहना है कि वह और उनकी पत्नी डॉ. उपिंदर ने नियम के अनुसार शोध किया है। सभी गाइडलाइन का पालन किया गया है। जांच के बीच ही प्रो. एसएस चक्रवर्ती बाहर चले गए थे। मंगलवार को वह वाराणसी लौटे। बुधवार को आईएमएस निदेशक प्रो. एसएन संखवार ने प्रो. चक्रवर्ती और उनकी पत्नी डॉ.

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