को कई वजहों से जाना जाता था. शतक लगाने वाले टेस्ट में भारतीय टीम की न होने वाली हार हो या फिर 70 के दशक में खेल भावना वह मशहूर किस्सा, विशी के नाम से मशहूर गुंडप्पा को उनके चाहने वाले उनकी बल्लेबाजी के आकर्षक अंदाज से जाने जाते हैं.
विश्वनाथ का जन्म 12 फरवरी 1949 को कर्नाटक के भद्रावती में हुआ था. वे दाएं हाथ के मध्य क्रम के बल्लेबाज थे. वे लेग ब्रेक गेंदबाज थे. विश्वनाथ ने शुरू से ही अपनी बल्लेबाजी से प्रभावित किया था. 1967-68 में अपने पहले ही रणजी मैच में ही जब वे मैसूर की ओर से विजयवाड़ा के खिलाफ खेले थे. उसमें उन्होंने दोहरा शतक लगाकर सबको चौंका दिया था.उन्होंने अपना पहला टेस्ट 1969 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कानपुर में खेला था. अपने इसी पहले टेस्ट में उन्होंने शतक लगाया था.
विश्वनाथ के नाम अनोखा रिकॉर्ड है. उन्होंने जिस मैच में भी शतक लगाया, भारत वो मैच कभी नहीं हारा. उन्होंने 14 शतक लगाए. भारत ने इनमें से 13 मैच जीते, जबकि एक मैच ड्रॉ रहा जबकि उस दौरान भारत ने 26 टेस्ट हारे थे. यह रिकॉर्ड भारत के कई दिग्ग्ज बल्लेबाजों तक के नाम भी नहीं है जिनमें सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली भी शामिल हैं.
1979-80 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट को विश्वनाथ की खेलभावना के लिए याद किया जाता है. इस मैच में अंपायर ने बॉब टेलर को आउट दे दिया था. कप्तानी कर रहे विश्वनाथ ने यह देख कि टेलर आउट नहीं हैं. उन्हें वापस बैटिंग के लिए बुलाया. बाद में भारत यह मैच हार गया था.गुंडप्पा ने 91 टेस्ट में 41.93 की औसत से, 14 शतकों के साथ 6080 रन बनाए थे. उनका सर्वोच्च टेस्ट स्कोर 222 रन रहा. वनडे करियर में गुंडप्पा विश्वनाथ का ने 25 वनडे मैचों में 439 रन बनाए, जिसमें 75 रन सर्वोच्च स्कोर था.
गुंडपा विश्वनाथ 1983 में रिटायर होने के बाद 1999 से 2004 के बीच मैच रेफरी बन गए. वे कुछ समय के लिए बीसीसीआई की चयनसमिति के अध्यक्ष रहे हैं. उन्होंने नेशनल क्रिकेट एकेडमी में भी जिम्मेदारी संभाली थी.
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