यूपी की सियासी जंग में बुधवार को नए खिलाड़ी की एंट्री हुई। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के चीफ असदुद्दीन ओवैसी की बिहार के बाद अब यूपी पर नजर है। लखनऊ के एक होटल में जब ओवैसी ने ओम प्रकाश राजभर से हाथ मिलाया तो नई सियासी हलचल होने लगी। उधर लगातार दो बार दिल्ली विधानसभा का किला फतह करने के बाद आम आदमी पार्टी भी बुलंदियों की ख्वाहिश संजोए है। 15 दिसंबर को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ऐलान किया कि उनकी पार्टी यूपी में पंचायत और विधानसभा चुनाव लड़ेगी।'मुसलमान तीसरा विकल्प ढूंढ...
ओम प्रकाश राजभर ने यूपी में छोटे दलों का भागीदारी संकल्प मोर्चा बनाया है। इसमें एआईएमआईएम की एंट्री हुई है। यूपी में ओवैसी और राजभर की दोस्ती क्या गुल खिला सकती है? इस सवाल पर वरिष्ठ पत्रकार संजय पांडेय ने एनबीटी ऑनलाइन को बताया, 'बिहार में अच्छी एंट्री मिली। लिहाजा ओवैसी बिहार फॉर्म्युला अपनाना चाहते हैं। डॉक्टर अयूब वाली पीस पार्टी के भी जनभागीदारी मोर्चे में जाने की संभावना है। पूर्वी यूपी के कुछ जिलों में मुस्लिम समुदाय के बीच पीस पार्टी का प्रभाव है। बाबू सिंह कुशवाहा की जन अधिकार...
यूपी का राजनीति पर पैनी नजर रखने वाले एक वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं, 'ओवैसी का नया गठजोड़ सभी पार्टियों के लिए खतरे का सबब बन सकता है। यह बात जरूर है कि मुस्लिम वोट बैंक का ज्यादा नुकसान कांग्रेस और एसपी को हो सकता है। अगर इस मोर्चे को सफलता मिलती है तो यूपी में नया समीकरण बन सकता है।''जातियों के वोट बैंक से अभी आम आदमी पार्टी दूर'