लंबे समय से टीशू कैंसर से जूझ रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली अब हमारे बीच नहीं रहे। वह नौ अगस्त से दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती थे। अरुण जेटली ऐसे नेता थे, जिन्होंने अपने राजनीतिक करियर में कभी कोई लोकसभा चुनाव नहीं जीता, बावजूद उन्हें राजनीति का पुरोधा माना जाता है। अरुण जेटली, मुश्किल वक्त में हमेशा पार्टी के खेवनहार रहे हैं। मुश्किल संसद के अंदर हो या कोर्ट में उन्होंने हर जगह अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया। आइये जानते हैं, कैसा रहा है अरुण जेटली का...
23 जुलाई 2000 को केंद्रीय कानून, न्याय और कंपनी मामलों के कैबिनेट मंत्री राम जेठमलानी ने इस्तीफा दे दिया। जेठमलानी के इस्तीफे के बाद उनके मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी अरुण जेटली को ही सौंप दिया गया था। महज चार माह में उन्हें वायपेयी सरकार की कैबिनेट में शामिल कर कानून, न्याय और कंपनी मामलों के साथ-साथ जहाजरानी मंत्रालय की भी जिम्मेदारी सौंप दी गई। वायपेयी सरकार में लगातार उनका प्रोफाइल बढ़ता और बदला रहा। उन्होंने हर जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। 2004 के चुनाव में वाजपेयी सरकार सत्ता से बाहर हुई...
2012 - जून 2012 से नवंबर 2012 तक लोकपाल और लोकायुक्त बिल के लिए गठित राज्यसभा की सेलेक्ट कमेटी के सदस्य रहे। 2006 - अगस्त 2006 से दिसंबर 2009 तक लाभ के पद की कानूनी और संवैधानिक की जाच करने के लिए गठित संयुक्त समिति के सदस्य रहे।2006 - जनवरी 2006 से जुलाई 2010 तक इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स के सदस्य रहे।2004 - अगस्त 2004 से मई 2009 तक वाणिज्यिक समिति के सदस्य रहे।2003 - 29 जनवरी 2003 से 21 मई 2004 तक कानून एवं न्याय मंत्री रहे। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की भी अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई।
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