विश्व कप के फाइनल में न्यूजीलैंड और इंग्लैंड के पहुंच जाने से एक नए विश्व विजेता का सामने आना तय हो गया है, लेकिन भारत भी विश्व विजेता का दावेदार बने रह सकता था अगर सेमीफाइनल में उसने कुछ गलतियां न की होतीं। जैसे जीत तमाम कमजोरियों को ढकने का काम करती है वैसे ही हार तमाम सवालों को जन्म देने का। भारत की हार के कई कारणों पर चर्चा हो रही है, जैसे शिखर धवन और विजय शंकर के बाहर होने पर उनका सही रिप्लेसमेंट न करना, कमजोर साबित हुए मध्य क्रम की समय रहते सही ढंग से चिंता न किया जाना और सेमीफाइनल में...
ऐसा लगता है कि इंग्लैंड से हारने के बाद विराट कोहली-रवि शास्त्री ने पैनिक बटन दबा दिया और भारतीय टीम इंग्लैंड की तर्ज पर क्रिकेट खेलने की रणनीति बनाने लगी। इंग्लैंड की टीम जो काम पिछले डेढ़ दो साल से कर रही थी वह काम टीम इंडिया ने विश्व कप के दौरान शुरू किया। बल्लेबाजी को और गहराई देने के इरादे से एक और बल्लेबाज को प्लेइंग 11 में शामिल कर लिया गया। इसके लिए एक गेंदबाज की बलि दे दी गई। बाद के मैचों में सिर्फ पांच गेंदबाज प्लेइंग 11 में शामिल किए गए। वह तो भला हो कि किसी गेंदबाज को कोई दिक्कत...
जून 2017 में चलिए। अनिल कुंबले ने टीम इंडिया के कोच पद से इस्तीफा दिया। यह बात किसी से छिपी नहीं कि बतौर कोच कुंबले और बतौर कप्तान विराट कोहली में नहीं बन रही थी। अनिल कुंबले जिस कल्चर के खिलाड़ी थे विराट उससे अलग थे। अनिल कुंबले ने जब कोच का पद छोड़ा तो उन्होंने बाकयदा लिखा, 'मुझे बीसीसीआइ की तरफ से सूचित किया गया कि कप्तान को मेरी कोचिंग के तरीकों और मुख्य कोच बने रहने को लेकर संदेह है। मेरे लिए यह हैरानी वाली बात है, क्योंकि मैंने कोच और कप्तान के बीच की सीमाओं का हमेशा ध्यान रखा है।...
उस वक्त अगर विराट कोहली पर किसी ने अंगुलियां उठाई होतीं तो शायद आज स्थिति कुछ अलग होती। यह सच है कि भारतीय क्रिकेट में कप्तान हमेशा से ताकतवर रहा है। इसकी शुरुआत खासतौर पर गांगुली के समय में हुई। सौरव जो चाहते थे, जैसा चाहते थे वैसा ही होता था। उस वक्त जगमोहन डालमिया बोर्ड के अध्यक्ष थे। सौरव और डालमिया के बीच आपसी समझ थी। कुछ ऐसा ही धौनी और एन श्रीनिवासन के दौर में भी था। धौनी की खूब चलती थी, लेकिन धौनी जो भी बड़े फैसले करते थे उसमें श्रीनिवासन की सहमति जरूरी होती थी। अब हालात बदल चुके हैं। अब...
कोहली सही फैसले लें या गलत, उनके सामने कोई ऐसा शख्स नहीं जो उनकी किसी बात को चुनौती दे सके। अगर ऐसा न होता तो रायुडू को टीम में शामिल न करने, विजय शंकर की जगह मयंक को शामिल किए जाने, मोहम्मद शमी को अचानक प्लेइंग 11 से बाहर करने, दिनेश कार्तिक को रवींद्र जडेजा पर प्राथमिकता देने और एक ही प्लेइंग 11 में चार विकेटकीपर खिलाने पर कोई तो सवाल करता..
Batting order is not good specially ....middle order batsmen not so much experienced ...
Prakhar scholarship kb tk milegi
पूरी टीम बेहतरीन खेली । मगर दिन ख़राब था वरना कोहली पाण्ड्या और धोनी दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से आउट ना होते ।
Har ki responsibility uski hai jisne m.s.d ki 7 no.par bhej diya
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