भारतीय सिनेमा संगीत के बिना अधूरी है। हमारी फिल्मों में गीत और संगीत का इस्तेमाल दुनिया के किसी भी देश से अधिक होता है। वक्त के साथ जैसे-जैसे हिंदुस्तान का सिनेमा बड़ा हुआ, इसमें दुनिया के तमाम हिस्सों में बने अलग-अलग वाद्य यंत्रों का भी इस्तेमाल बढ़ा। ऐसा ही एक म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट है अकॉर्डियन, जिसे हिंदी सिनेमा में लाने का श्रेय संगीतकार नौशाद को जाता है। साल 1950 में पहली बाद उन्होंने ही फिल्म 'दास्तान' के गाने 'ता रा री ता रा री' में इसका इस्तेमाल किया था।...
' में साज छेड़े गए।वक्त के साथ बदलता गया अकॉर्डियन का स्वरूपवक्त के साथ Accordion Instrument में भी कई बदलाव हुए। इसे बजाने के तरीके भी बदले। बटन अकॉर्डियन, यूनिसोनोरिक और बाइसोनोरिक अकॉर्डियन, कॉन्सर्टिना, बैंडोनियन, पियानो अकॉर्डियन जैसे तमाम वाद्ययंत्र बनाए गए। इन सभी में से पियानो अकॉर्डियन हिंदी फिल्म संगीत में सबसे अधिक पॉपुलर रहा। ऐसा इसलिए भी कि इसे बजाने का तरीका पियानो कीबोर्ड जैसा था।अगले 40 साल तक ये थे बॉलीवुड में अकॉर्डियन के दिग्गजभले ही नौशाद ने भारतीय सिनेमा को...
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