ऐसा माना जाता है कि दिल की बीमारी मुख्य रूप से पुरुषों को प्रभावित करता है, लेकिन इसका प्रभाव महिलाओं में भी उतना ही महत्वपूर्ण है, हालांकि, अक्सर यह दोनों में अलग-अलग तरह से नजर आता है.
इन चिंताजनक आंकड़ों के साथ, विशेष रूप से एथेरोस्क्लोरोटिक कार्डियोवैस्कुलर डिजीज जैसी स्थितियों में इन जेंडर-विशिष्ट अंतर को स्वीकार करना आवश्यक है. एएससीवीडी का तात्पर्य प्लाक के निर्माण के कारण नसों के सिकुड़ने और सख्त होने से है, जिससे दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रीति गुप्ता ने महिलाओं के लिए कोलेस्ट्रॉल की जल्दी जांच के महत्व पर जोर दिया और बताया कि उनके लक्षण अक्सर नजर नहीं आते हैं. उन्होंने कहा कि महिलाओं को कोलेस्ट्रॉल की जांच 45 साल की उम्र से करवाना शुरु कर देना चाहिए. मैंने अपनी प्रैक्टिस में पाया है कि करीब 25% महिलाओं में एलडीएल-सी के लेवल्स बढ़े हुए हैं और इसकी एएससीवीडी में बड़ी भूमिका होती है. कई महिलाओं को अपने बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल लेवल्स की जानकारी नहीं है.
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