जयपुर: अमूमन हम देखते हैं कि कोर्ट में जब किसी केस की सुनवाई चलती है तो फैसला आने में लंबा समय लग जाता है। सामान्य प्रकरणों में भी महीनों बीत जाते हैं। पति पत्नी की सहमति से होने तलाक के मामले में भी छह महीने से ज्यादा का वक्त लग जाता है। पति-पत्नी की ओर से आपसी रजामंदी के बाद तलाक की अर्जी पेश करने पर कोर्ट में पहली सुनवाई के बाद कोर्ट की ओर से चार छह महीने की अगली तारीख दी जाती है ताकि भरण पोषण के मामले का निस्तारण होने के साथ तलाक पर पुनर्विचार का मौका भी मिल सके। राजधानी जयपुर में पहली बार...
किया गया था तलाकनामाइस मामले से जुड़े एडवोकेट सुनील शर्मा ने बताया कि युवक-युवती की शादी 2 अप्रैल 2010 को हुई थी। शादी के बाद एक बेटी भी हुई लेकिन कुछ ही समय बाद पति पत्नी में वैचारिक मतभेद शुरू हो गए। 30 मई 2022 से पति-पत्नी अलग अलग रहने लगे। तमाम कोशिशों के बाद पति-पत्नी ने तय कर लिया कि अब वे भविष्य में एक साथ नहीं रह पाएंगे। दोनों ने आपसी सहमति से एडवोकेट सुनील शर्मा के जरिए 30 अप्रैल 2024 को कोर्ट में तलाकनामा पेश किया। पत्नी और बेटी के भरण पोषण की राशि एकमुश्त जमा कराने के बाद जज अजय...
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