में जीत हासिल हुई है। यह मामला कंपनी से 22,100 करोड़ रुपये की कर मांग से जुड़ा है। बहरहाल, फैसले की जानकारी मिलने के बाद सरकार ने कहा है कि वह मध्यस्थता अदालत के फैसले का अध्ययन करेगी और उसके बाद ही आगे की कार्रवाई के बारे में कोई निर्णय लेगी।
इस बीच मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि फैसला आने के बाद मामले में भारत सरकार की देनदारी करीब 75 करोड़ रुपये तक होगी। इसमें 30 करोड़ रुपये लागत और 45 करोड़ रुपये कर वापसी शामिल है। निर्णय के तहत सरकार को वोडाफोन को उसकी कानूनी खर्चे का 60 फीसदी और मध्यस्थ की नियुक्ति में 6,000 यूरो की लागत का आधा हिस्सा का भुगतान करना है।
कर विभाग ने 2016 में 22,100 करोड़ रुपये के कर की मांग को लेकर नोटिस दिया। वोडाफोन के अलावा भारत सरकार ने पूर्व की तिथि से कर कानून का उपयोग करते हुए ब्रिटेन की तेल खोज कार्य करने वाली कंपनी केयर्न एनर्जी से 10,247 करोड़ रुपये की मांग की थी। यह मांग कंपनी से 2006 में उसके भारतीय कारोबार का पुनर्गठन करने को लेकर की गई थी।
इस बीच मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि फैसला आने के बाद मामले में भारत सरकार की देनदारी करीब 75 करोड़ रुपये तक होगी। इसमें 30 करोड़ रुपये लागत और 45 करोड़ रुपये कर वापसी शामिल है। निर्णय के तहत सरकार को वोडाफोन को उसकी कानूनी खर्चे का 60 फीसदी और मध्यस्थ की नियुक्ति में 6,000 यूरो की लागत का आधा हिस्सा का भुगतान करना है।
सरकार जान बूझ के हारी है
Kya sarkaar ne jitne ki koshish ki? Ye haar me jeet h
ये बात समझ मे नहीं आ रही कि जो सुप्रीम कोर्ट कल तक इस मामले में इतनी सख्त थी आज वो पिघल कैसे गयी।
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