महामारी से उपजे हालात के बाद 2021 में वैश्विक अर्थव्यवस्था ने मजबूती से वापसी की थी. साल के दूसरे हिस्से में उसकी तेजी कुछ कम हुई थी और उसकी वजह थी महामारी के नए मामले, सप्लाई चेन के अवरोध, श्रम की किल्लत और कोविड-19 टीकों की सुस्त आमद, खासकर कम आय वाले विकासशील देशों में.
अगले सप्ताह तक वैश्विक बाजार में उतार-चढ़ाव चलता रहा. निवेशक नये वैरिएंट के आर्थिक निहितार्थों को समझने की कोशिश में जूझते रहे. आर्थिक बहाली को अवरुद्ध करने वाले वैरिएंट पर काबू रखने के लिए सरकारें कड़े प्रतिबंध लगाती रहीं. गोपीनाथ कहती हैं,"उच्च नीतिगत प्राथमिकता ये होनी चाहिए कि हर देश में इस साल 40 फीसदी, और मध्य 2022 तक 70 प्रतिशत आबादी का पूर्ण टीकाकरण सुनिश्चित कर लिया जाए. अभी तक कम आय वाले विकासशील देशों में पांच फीसदी से भी कम आबादी का पूर्ण टीकाकरण हो पाया है.”इस साल वैश्विक सुधारों की रुकावट में बड़ी भूमिका निभाई है सप्लाई चेन के अवरोधों ने.
परिवहन और लॉजिस्टिक्स की जर्मन कंपनी डीएसवी एयर एंड सी में प्रबंध निदेशक फ्रांक सोबोट्का ने नजदीकी देश में व्यापार को स्थानांतरित करने के चलन का हवाला देते हुए डीडब्ल्यू को बताया,"हमें पता है कि हालात 2022 में नहीं सुधर पाएंगे और तब तक तो बिल्कुल नहीं जब तक कि 2023 में नई प्रासंगिक महासागरीय परिवहन क्षमताएं विकसित नहीं कर ली जातीं या सप्लाई चेन को नीयरशोरिंग यानी नजदीकी देशों से व्यापार के लिए अनुकूलित नहीं कर लिया जाता.
अमेरिका में, मुद्रास्फीति से जुड़ी चिंताएं और बड़ी होने की संभावना है. इसकी गिरावट को रोकने का काम करती है आर्थिक बहाली, टैक्स की दरों में कटौती जैसे बड़े पैमाने पर राजस्व प्रोत्साहन और श्रम और सप्लाई की कमी. अमेरिका के संघीय रिजर्व बैंक का कहना है कि वो अपना बॉन्ड-खरीद की प्रोत्साहन योजना का आकार और तेजी से कम करेगा. उसने 2022 में ब्याज दरें बढ़ाने का संकेत भी दिया है.
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