पीटीआई, नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस से यह सुनिश्चित करने को कहा कि निर्दोषों और पिछड़े समुदायों के व्यक्तियों का नाम हिस्ट्रीशीट में नहीं हो। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और केवी विश्वनाथन की पीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मामले की कार्रवाई शुरू करते हुए कहा कि सार्वजनिक डोमेन में कुछ अध्ययन उपलब्ध हैं जो 'अनुचित, पूर्वाग्रहपूर्ण और अत्याचारी' मानसिकता का एक पैटर्न प्रकट करते हैं। SC ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस को दिया...
अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों के साथ-साथ सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से वंचित पृष्ठभूमि से आने वाले निर्दोष व्यक्तियों की हिस्ट्रीशीट में कोई यांत्रिक प्रविष्टि न की जाए। 'हिस्ट्रीशीट एक आंतरिक सार्वजनिक दस्तावेज' SC ने कहा कि हिस्ट्रीशीट एक आंतरिक सार्वजनिक दस्तावेज है, न कि सार्वजनिक रूप से सुलभ रिपोर्ट। इसमें कहा गया है कि पुलिस अधिकारियों को यह सुनिश्चित करते समय अतिरिक्त देखभाल और सावधानी बरतनी चाहिए कि हिस्ट्रीशीट में कानून द्वारा प्रदान किए गए नाबालिग की पहचान का...
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