CAB: ‘बंगाल 2021’ के लिए बीजेपी कर रही तैयारी! जानें सूबे की राजनीति को क्यों बदलकर रख देगा नागरिकता संशोधन विधेयक अबंतिका घोष नई दिल्ली | Updated: December 11, 2019 7:54 AM सूबे की राजनीति को क्यों बदलकर रख देगा नागरिकता संशोधन विधेयक। Citizenship Bill 2019 को लेकर देश के उत्तर पूर्वी राज्यों में गुस्सा है। हालांकि, अगर केंद्र सरकार अवैध प्रवासियों की पहचान करने के लिए नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस को देशव्यापी स्तर पर लागू करती है तो प्रस्तावित नागरिकता विधेयक का पश्चिम बंगाल पर गहरा असर पड़ने की...
संबंधित खबरें बंगाल की बात करें तो यहां 1971 में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तानसे आए करीब 1 करोड़ लोगों को लेकर यहां की राजनीतिक लड़ाई सालों से चल रही है। पहले कांग्रेस और तृणमूल पूर्ववर्ती वाम सरकारों पर इन लोगों के वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल करने का आरोप लगाती रही हैं। हालात अब बदल गए हैं। अब बीजेपी ऐसे ही आरोप सत्ताधारी तृणमूल पर लगा रही है।
अमित शाह शायद पार्टी की बंगाल ईकाई में फैले डर को शांत करने की कोशिश कर रहे थे। दरअसल, पार्टी नेता असम से आ रही उन खबरों से परेशान थे जिसके मुताबिक, एनआरसी के आखिरी ड्राफ्ट में मुसलमान से ज्यादा हिंदू बाहर हो चुके हैं। लोकसभा में शाह ने इस बात पर जोर दिया कि नागरिकता संशोधन विधेयक उन लोगों की हिफाजत करेगा, जिन्हें शरणार्थी के तौर पर भारत आने के बाद नौकरियां मिल गईं। उन्होंने कहा था, ‘बंगाल और नॉर्थईस्ट के शरणार्थियों को यह स्पष्ट संदेश मिल जाना चाहिए कि जिस तारीख को आप भारत में आए थे, उसी तारीख...
बता दें कि मई में हुए आम चुनावों में बीजेपी ने राज्य में अभूतपूर्व सफलता हासिल की। पार्टी को 42 में से 18 सीटों पर जीत मिली। पार्टी अवैध घुसपैठियों के खिलाफ एक्शन की बात कहती रही है। इसके जरिए मुस्लिमों को निशाना बनाने का आरोप लगाया जाता रहा है। मुसलमान पारंपरिक तौर पर तृणमूल के वोटर माने जाते हैं। हालांकि, नवंबर में बीजेपी को विधानसभा उप चुनावों में तीनों सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। इनमें वे सीटें भी शामिल हैं, जहां तृणमूल को कभी जीत नहीं हासिल हुई थी। दोनों ही पार्टियों ने माना कि ये...
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