देहरादून/बद्रीनाथ: कहते हैं कि क्षीर सागर में श्री हरि विष्णु माता लक्ष्मी के साथ शेषनाग पर रहते हैं, जिसे बैकुंठ धाम कहा जाता है। जहां वही पुण्य आत्मा जाती है, जिसने अपने जीवन से मोक्ष की प्राप्ति कर ली होती है। क्या आपको पता है कि इस धरती पर भी एक ऐसी जगह है, जिसे दूसरा बैकुंठ धाम कहा जाता है। ये भी कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन में एक बार यहां दर्शन करने आ जाए तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।इस धरती पर जिस धाम को दूसरे बैकुंठ धाम के रूप में जाना जाता है वो उत्तराखंड यानि देवभूमि...
साथ किया जाता है। इस प्रक्रिया में हक-हकूक धारियों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है।पौराणिक मान्यताएंबद्रीनाथ धाम के मंदिर के कपाट खोलने की पौराणिक मान्यताएं विशिष्ट हैं। पारंपरिक रीति-रिवाज के अनुसार ग्रीष्म काल में बद्रीनाथ धाम के कपाट खुले रहते हैं, जबकि शीतकाल में छह माह के लिए बंद रहते हैं। कपाट बंद करते समय मंदिर पर तीन ताले लगाए जाते हैं। इनमें से एक ताला मंदिर समिति का, जबकि एक–एक ताला हक हकूकधारी ‘मेहता थोक’ और ‘भंडारी थोक’ का होता है।तीन ताले लगते हैंग्रीष्म काल में जब निर्धारित...
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