'जीरो बजट खेती' के जरिए 5.78 लाख किसान कर रहे हैं मोटी कमाई! जानिए इसके बारे में सबकुछ

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आह्वान रंग लाने लगा है. देश के 5.78 लाख किसानों ने उनके बताए रास्ते पर चलकर मिसाल कायम कर दी है. हम बात कर रहे हैं जीरो बजट खेती (Zero Budget Natural Farming) की, जिसके जरिए किसानों ने रासायनिक खादों पर निर्भरता बिल्कुल खत्म करके पर्यावरण और सेहत को अच्छा रखने की दिशा में काम शुरू किया है. | business News in Hindi - हिंदी न्यूज़, समाचार, लेटेस्ट-ब्रेकिंग न्यूज़ इन हिंदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आह्वान रंग लाने लगा है. देश के 5.78 लाख किसानों ने उनके बताए रास्ते पर चलकर मिसाल कायम कर दी है. हम बात कर रहे हैंकी, जिसके जरिए किसानों ने रासायनिक खादों पर निर्भरता बिल्कुल खत्म करके पर्यावरण और सेहत को अच्छा रखने की दिशा में काम शुरू किया है. इस मिशन में लीडर बनकर उभरा है आंध्र प्रदेश. जहां के 5.23 लाख किसान इस मिशन में जुड़ चुके हैं. जबकि कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और केरल ने भी इस दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं. बाकी राज्य इस मामले में जीरो हैं.

ऐसी खेती को बढ़ावा देने के पीछे मोदी सरकार का मदसद यह है कि किसानों को किसी भी फसल को उगाने के लिए किसी तरह का कर्ज न लेना पड़े. इससे किसान कर्ज से मुक्त होगा और आत्मनिर्भर बनेगा. जीरो बजट खेती का उत्पाद महंगा बिकेगा. इससे उसकी आय बढ़ेगी.के तहत आंध्र प्रदेश में सबसे अधिक 2.03 लाख हेक्टेयर में किसान खेती कर रहे हैं. दूसरे नंबर पर है कर्नाटक जहां 19609 और तीसरे पर हिमाचल प्रदेश है जहां 1512 हेक्टेयर में ऐसी खेती शुरू हुई है.

>> भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने मोदीपुरम, पंतनगर, लुधियाना और कुरुक्षेत्र में बासमती/मोटे चावल और गेहूं में जीरो बजट प्राकृतिक खेती का मूल्यांकन करने के लिए एक अध्ययन शुरू किया है.>> कर्नाटक में बागवानी विश्वविद्यालयों के माध्यम से राज्य के 10 क्षेत्रों में प्रत्येक में 2000 हेक्टेयर क्षेत्र में प्रायोगिक आधार पर जेडबीएनएफ पर काम शुरू किया गया है.

>> केरल में जेडबीएनएफ के प्रति किसानों में रुचि पैदा करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम, प्रशिक्षण और कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं.जीरो बजट खेती को लेकर कृषि विशेषज्ञ बंटे हुए हैं. मशहूर कृषि अर्थशास्त्री देविंदर शर्मा कहते हैं कि खेती का यह मिशन सही दिशा में जा रहा है. दो साल में ही 5.78 लाख किसानों का इससे जुड़ना बड़ी बात है. इस खेती से किसान खुशहाल होगा और उसका उत्पाद खाने वालों की सेहत ठीक रहेगी. जबकि राष्ट्रीय किसान संघ के फाउंडर मेंबर बीके आनंद इस खेती को व्यवहारिक नहीं मानते.

जीरो बजट प्राकृतिक खेती देसी गाय के गोबर एवं गौमूत्र पर निर्भर होती है. इस विधि से खेती करने वाले किसान को बाजार से किसी प्रकार की खाद और कीटनाशक रसायन खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती. इसमें रासायनिक खाद के स्थान किसान खुद गोबर से तैयार की हुई खाद बनाते हैं. ऐसी खाद गाय-भैंस के गोबर, गौमूत्र, चने के बेसन, गुड़, मिटटी तथा पानी से बनाई जा सकती है. इसमें नीम और गौमूत्र का कीटनाशक इस्तेमाल किया जाता है.

 

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Moti kmayi krne walon ki shakl bhi dikha deejiye logon ko jo sirf kheti se moti kmayi krte hain. Stop fooling people you fake media.

News channel walo khud jake kheti karo fir samjh aaega zero budget.

Agriculture income is tax free

ये गलत खबर है जीरो बजट खेती हो ही नहीं सकती।

And how many sucide?

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