हिंदुत्व के पैरोकार महान अशोक से इतने ख़फ़ा क्यों रहते हैं

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हिंदुत्व के पैरोकार महान अशोक से इतने ख़फ़ा क्यों रहते हैं

‘इतिहास क्या है ? …वह इतिहासकार और तथ्यों के बीच निरंतर चलनेवाली निरंतर प्रक्रिया है, एक समााप्त न होने वाला संवाद जो वर्तमान और अतीत के बीच जारी रहता है.’

मिसाल के तौर पर हम याद कर सकते हैं कि कुछ साल पहले उन्होंने एक सूबे की पाठ्यपुस्तकों में यह बात दर्ज करने में सफलता पाई थी कि ऐतिहासिक हल्दीघाटी की लड़ाई जो मुगल सम्राट अकबर तथा मेवाड़ के राजा राणा प्रताप की फौजों के बीच लड़ी गई थी, उसमें अकबर की सेनाओं ने नहीं बल्कि– जबकि ऐतिहासिक तथ्य इसमें अकबर की सेनाओं की जीत उपलब्ध तथ्यों के आधार पर दर्ज करते आए हैं.

अशोक महान, जो मौर्य साम्राज्य के आखरी बड़े शासकों में गिने जाते है, लेकिन इतिहास अशोक को उसके साम्राज्य की व्याप्ति के लिए नही याद करता बल्कि इसलिए याद करता है कलिंग युद्ध के बाद- जिस पर अशोक की सेनाओं ने आक्रमण किया था- जो जबरदस्त हिंसा हुई, जिसमें डेढ़ लाख से अधिक लोग मारे गए, उसके बाद अशोक को इस समूचे हिंसाचार का जबरदस्त पश्चात्ताप हुआ और उन्होंने अपना शेष जीवन ‘धम्म’ के जरिये अर्थात नैतिक जीवन के सिद्धांतों के आधार पर लोगों को ‘जीतने’ में इस्तेमाल किया.

यह साक्षात्कार कलिंग युद्ध के पहले के अशोक के जीवन पर केंद्रित करता है तथा उनकी जिंदगी के सही गलत किस्सों को जोड़कर उन्हें एक ऐसे शासक के तौर पर पेश करता है, जिन्होंने अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न किया, यहां तक कि अपने कई आत्मीयजनों को मार डाला. अपना राजनीतिक नफा-नुकसान देखते हुए भाजपा को पहल लेनी पड़ी और बिहार के एक अग्रणी भाजपा नेता ने न केवल सिन्हा के संघ-भाजपा के साथ किसी रिश्ते से इनकार किया और पुलिस स्टेशन जाकरभारतीय दंड विधान की धारा 195 ए /, धारा 505 और धारा 506 आदि धाराओं के तहत दर्ज मुकदमे के तहत अगर अदालती कार्रवाई आगे बढ़ेगी तो उन्हें कम से कम पांच साल तक जेल में रहना पड़ सकता है.

राष्ट्र एवं उसके दाय के प्रति श्रद्धा इतने निम्न तल तक पहुंच गई कि धर्मांध बौद्धों ने बुद्ध धर्म का चेहरा लगाए हुए विदेशी आक्रांताओं को आमंत्रित किया तथा उनकी सहायता की. बौद्ध पंथ अपने मातृ समाज तथा मातृ धर्म के प्रति द्रोही बन गया.’ हाल के समयों में ऐसे पॉपुलर लेखक भी सामने आए हैं, जिन्होंने भारतीय इतिहास पर किताबें प्रकाशित की हैं, जो हिंदुत्व वर्चस्ववादी नज़रिये के साथ काफी सामंजस्य रखती दिखती हैं. जिसके लेखक हैं जनाब संजीव सान्याल- जो फिलवक्त भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ इकोनोमिक अफेयर्स मे प्रमुख आर्थिक सलाहकार के तौर तैनात हैं.

 

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बौद्धों और हिंदुओं में फूट डालने की ये इस्लामी कोशिश बेकार है। इस तरह के लेख 'अल तकिया' का एजेंडा प्रस्तुत करता है।

खफ़ा कयों हैं या रहते हैं , पता नहीं लेकिन किसी देश भक्त ने आजतक येह मांग नहीं किया है कि सम्राट अशोक की राजधानी में उनके क़िले की खोज खुदाई करवाई जाए , यह काम दूसरे देश में national geographic chanell वाले करवाते रहते हैं , अशोक के लिए यहां भी होना चाहिए।

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Aabhas24 wire reporter needs some ghyan. Will you be kind with them?

Aabhas24 Please enlight🙏🙏🙏

सम्राट अशोक को चंड अशोक क्यूँ कहाँ जाता था? बौध पुस्तक अशोकवदान क्या कहती है? क्या अशोक कलिंग के बाद बौद्ध बना या वह बौद्धो की मदद से ही सत्ता तक पहुंचा था? अशोक ने कितने आजिविक साधुओं की हत्या की? अशोक ने कितने चित्र बनाने वालोँ को जींदा जलाया? जवाब दो।

मतलब अशोक का भी कोई प्रो मुसलमीन एंगल ढूंढ लाई है बिब्बो

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