पूर्वी और पश्चिम देशों के बीच व्यापार का अहम रास्ता
हफ्ते भर से स्वेज नहर में फंसा जाएंट शिप 'एमवी एवर गिवेन' सोमवार को हटा लिया गया. यह जहाज 400 मीटर लंबा और 59 मीटर चौड़ा था. चीन से नीदरलैंड्स के पोर्ट रोटेरडम जा रहा यह जहाज स्वेज नहर में फंस गया था. इस जहाज के फंसने के चलते विश्व की सप्लाई चेन पर खासा असर पड़ा ही था. साथ ही इससे आर्थिक नुकसान का भी सामना करना पड़ रहा है. कई देशों में तेल व गैस के दाम बढ़ गए हैं तो कई जगहों पर शिपिंग चार्ज में भी इजाफा हुआ है. जहाज के फंसने के चलते कई छोटे मालवाहक जहाज फंसे हुए थे.
लॉयड लिस्ट के मुताबिक रोजाना 9 बिलियन डॉलर का नुकसान उठाना पड़ रहा था. यह प्रति घंटे 400 मिलियन डॉलर के व्यापार या $ 6.7 मिलियन प्रति मिनट के बराबर है. जापानी जहाज के छह दिनों तक स्वेज में फंसे होने के चलते लगभग कुल 54 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है. यह आंकड़ा कार्गो शिपमेंट के रुकने या फिर ब्लॉकेज की वजह से हुई देरी के आधार पर है.
विश्व के कई देशों को आर्थिक नुकसान तेल और गैस के दाम बढ़ने से भी हुए हैं. आशंका जताई गई थी कि यह जहाज कई दिनों तक स्वेज नहर में फंसा रह सकता है जिसके चलते कई देशों में तेल और गैस के दाम बढ़ा दिए गए थे. स्वेज नहर प्राधिकरण के अध्यक्ष ओसामा रबी के अनुसार, अकेले नहर का राजस्व रोजाना $ 14 मिलियन से $ 15 मिलियन तक प्रभावित हुआ. इस बीच, जर्मन बीमा कंपनी एलियांज ने शुक्रवार को एक विश्लेषण में कहा था कि इस ब्लॉकेज की वजह से सालाना आधार पर वैश्विक व्यापार वृद्धि में 0.2 से 0.
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