सोशल मीडिया पर हमदर्दी दिखाने के 'साइड इफेक्ट' | DW | 02.07.2019

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एक लाइक, शेयर या रीट्वीट करने से किसी और का बयान आपका विचार बन जाता है. अलग तरह की सोच रखने वालों के बीच की खाई और गहरी होती जा रही है, ध्रुवीकरण बढ़ रहा है और मौखिक रूप से दूसरों की ऐसी की तैसी करने का चलन भी. socialmedia computer

ट्विटर और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म पर किसी का अपमान करना या किसी को ट्रोल करना अब आम हो गया है. गुमनाम से यूजर दूसरों के पोस्ट पर ऐसी कड़वी कड़वी बातें लिखते हैं कि पढ़ कर लगता है कि सब लोग बेदर्द होते जा रहे हैं और हमदर्दी नाम की चीज तो जैसे दुनिया में बची ही नहीं है.

दक्षिणपंथी कट्टरवादियों को ही लें. भले ही वे अपने विरोधी की मौत का स्वागत करते हों लेकिन उनमें भी सहानुभूति होती है. ब्राइटहाउप्ट कहते हैं,"सहानुभूति रखने के कारण कई बार लोगों का ध्रुवीकरण होता है. संकट की स्थिति में हम किसी एक पक्ष का साथ देने का फैसला करते हैं. किसी बात के लिए खुद को एक पक्ष की जगह पर रखते हैं और दूसरे पक्ष को बढ़ा चढ़ा कर बुरा मानते हैं." वे कहते हैं,"हमदर्दी के कारण लोग कट्टरपंथी बन सकते हैं.

 

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