शाश्वत सिंह/झांसी. बुंदेलखंड क्षेत्र की तमाम समस्याओं में से एक है अन्ना प्रथा. यह प्रथा पिछले कई सदियों से चली आ रही है. सूखे बुंदेलखंड में किसानों के लिए खेती करना पहले ही बहुत मुश्किल होता है. ऐसे में जानवरों के लिए चारा इकट्ठा करना बहुत मुश्किल होता है. इसलिए किसान अपने जानवरों को सड़क पर छोड़ देते हैं. जिससे वह खुद चारे का इंतजाम कर सकें. बुंदेलखंड के कृषि वैज्ञानिक लंबे समय से ऐसी चारे की फसल पर काम कर रहे हैं जो यहां के सूखे वातावरण में आसानी से उग सके. कृषि विशेषज्ञ डॉ.
इन पत्तियों को पशुओं के चारे के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. इन किस्मों का करें इस्तेमाल हाथी घास में खास तौर से एंटीऑक्सिडेंट और फाइटोकेमिकल्स होते हैं जो खतरनाक जहर को खत्म करके संक्रमण को रोकते हैं. इसी प्रकार नेपियर घास भी हर 50 दिन में तैयार हो जाती है. इसे बेचकर भी किसान हर महीने में 15 से 20 हजार रुपए कमा सकते हैं. सूडान घास भी पशुओं के दुग्ध उत्पादन के लिए अच्छा माना जाता है. आधुनिक मशीनों का भी करें इस्तेमाल डॉ.
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