जावेद इंडस्ट्री के उन चंद कलाकरों में से हैं जिनके सीरियल की शूटिंग हाल में फिर से शुरू हुई है. वो कहते हैं,"एक कलाकार के तौर पर मुझे इस बात की ख़ुशी है कि मेरे पास काम था. इसलिए जब महाराष्ट्र सरकार ने काम करने की मंजूरी दी तो मुझे बुलाया गया. सच कहूं तो सेट पर लौट कर बेहद खुशी हुई लेकिन फिर डर का माहौल भी दिखा."
"ज़रूरत पड़ने पर किसी से पैसे मांगने पड़े तो मांग लूंगा. मैंने देखा कुछ कलाकारों ने फेसबुक पर या सोशल मीडिया पर लोगों से मदद की गुहार लगाई थी और लोगों ने की भी. लेकिन लोग हर महीने तो एक लाख नहीं डालेंगे ना. हम जो एक्टिंग करते हैं वह एक अलग दुनिया है और जो हमारी असल ज़िंदगी है जिसे हम हर रोज़ जीते हैं, वह एकदम अलग दुनिया है. इस बात को मैं जनता हूँ इसीलिए थोड़ी कम परेशानी हो रही है.
श्यामलाल बताते हैं कि इंडस्ट्री में काम करने वाले 80 फ़ीसद लोग महाराष्ट्र के बाहर से आते हैं. ये लोग उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पंजाब और दिल्ली जैसे कई राज्यों से यहाँ आते हैं. कहती हैं,"कलाकारों के डिप्रेशन में जाने और खुदकुशी करने की कई वजहें हो सकती हैं लेकिन इस बात को नाकारा नहीं जा सकता कि कोरोना काल और लॉकडाउन में कई कलाकार शूटिंग पर नहीं जा पा रहे हैं, उनके पास काम नहीं है. पहले अच्छे पैसे मिलते थे वो नहीं आ रहे हैं."
डॉक्टर श्रद्धा सिधवानी कहती हैं,"लोगों में यह आम धारणा है कि कलाकारों के पास कई सुविधाएं हैं, उनके कई फैन्स हैं, तो उन्हें डिप्रेशन कैसे हो सकता है? ये सोच ग़लत है कि एक्टर्स को डिप्रेशन नहीं होता. उन्हें भी आम लोगों की तरह डिप्रेशन हो सकता है. बस फ़र्क इतना है कि वो हमें नज़र नहीं आता. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि बहुत कम एक्टर्स इस बारे में बात करते हैं. हमारे देश में डिप्रेशन को मेन्टल हेल्थ या दिमागी बीमारी कह दिया जाता है इसलिए लोग इस पर खुलकर बोलने से बचते हैं.
बालीवुड की दुनिया पूर्णतया सतत बढ़ते खर्च पर आधारित है, इसलिए जब भी किंही कारणों से आय घट जाती है और ग्लैमर की दिखावटी दुनिया के खर्च नहीं घटते तो तनाव और निराशा आती ही है। इसमें ज्यों ही कोई दूसरा फैक्टर जुड़ता है, आदमी टूट जाता है। हर मौत के पीछे कहानी मूलतः यही रहती है।
क्योंकि हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती
Coronavirus Patients
सुशान्त सिंह राजपूत कभी आत्महत्या नहीं कर सकता जरूर उनकी हत्या हुई होगी। मुझे नहीं लगता की सीबीआई भी सुशान्त को न्याय दिला पायेंगी क्योंकि सरकारी विभाग और पुलिस इतने भ्रष्ट है कि चन्द पैसों में बिक जाते है और न्याय को मौत की नींद सुला दिया जायेगा।
Desh me lakho log berojgaar h unki kisi ko koi fikr nhi logo k business khatam ho gya baadh se afat aai hui hai carona already h jago
No depression..plzzzzzz
बिना सीबीआई जांच का परिणाम आए बीबीसी ने ऐलान भी कर दिया कि सुशांत ने सुसाइड किया है। क्या बात है, सलाम है आपको।
सुशान्त सिंह राजपूत कभी आत्महत्या नहीं कर सकता जरूर उनकी हत्या होनी चाहिए। मुझे नहीं लगता की सीबीआई भी सुशान्त को न्याय दिला पायेंगी क्योंकि सरकारी विभाग इतने भ्रष्ट है कि चन्द पैसों में बिक जायेगी और न्याय को मौत की नींद सुला दिया जायेगा।
There own friends or nearer people's are responsible for such types of dip...... n...
There is no depression, sadness has been brutally killed by shushant, the bollywood gang has formed a government that has trick-govt in maharashtra, its rule is in bollywood and maharashtra, a bihari boy,has not tolerated the entry of the sanatani sushanti and has killed shushant
फिल्म टीवी सिरयाल के लोग डिप्रेसर मे नहीं जाते है | उन्हें डिप्रेसर में ले जाया जाता है मजबूर किया जाता है |
हर पल में सोच अगर दूसरों से हो दूसरो के लिए हो दूसरे में हो तो उम्मीदें कायम होने लगे सपने संजोने लगे कभी लगे जब कुछ जो छलने मानव लगे धसने जाने अंजाने लगे भीड़ है उसके साथ हर एक अंधेरे में लौ हो सबसे भार
becs sm pepl can't be anti national.....
सुशांत सिंह राजपूत मर्डर : फ़िल्म-टीवी इंडस्ट्री के कुछ दल्ले कैसे आज भी अपने बाप दाऊद के लिये किसी उभरते कलाकार को दबाने के लिये उसकी हत्या कर/करवा सकते हैं ये लिख भोसड़ी वाले माधरचोद 👆😠😠😠
Katal kiy gaya hai uska koi depression se nhi marra vo ,hamesha hi bharat virodhi agenda chalte hai BBC
He is not in dipression
बीबीसी हिंदी को खुद डिप्रेशन में जाकर बताना चाहिए की कैसा लगता है, उसके बाद वो और कुछ भी करना चाहे तो उनकी मर्ज़ी।
डिप्रेशन में हत्यारे चले गए हैं समझा
लिफ्ट से
We SSRWarriors will force to expose ths connections aftr tht u will c lot of star in depression, so save yr ink ......
जरूरतें, अपेक्षाएं और उम्मीदें यदि कम हो... और यथार्थवादी हों... सुख का अनुभव व्यक्तिगत हो ...तुलनात्मक ना हो तो अवसाद में जाने की संभावना भी कम होती है... संभलने के लिए समय की आवश्यकता होती है लोगों के साथ और संवाद की जरूरत होती है...
अगर डिप्रेशन की खोज करना है तो 1960 के दशक से गुरूदत्त, प्रवीण बाबी, गुलशन कुमार, दिव्या भारती, जिया खान, सुशांत सिंह राजपूत, व असंख्य छोटे पर्दे के कलाकार की मौत का रहस्य सुलझाना पडेंगा वर्ना लगा रहे मीडिया जनता को मूर्ख बनाने के काम मे।
जैसे बीबीसी कैसे समाचार के नाम पर इस्लामिक प्रचार प्रसार करता है। जैसे बीबीसी आज़ादी सिर्फ भारत मे दिखाता है रूस और चीन में उसके पत्रकार घोड़ी बन जाते है।
please dekhiae
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