नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के बीच सुप्रीम कोर्ट ने 26 अप्रैल को EVM-VVPAT स्लिप की 100% क्रॉस-चेकिंग कराने से जुड़ी याचिकाएं खारिज कर दी थीं. अदालत ने इसके साथ ही VVPAT को लेकर चुनाव आयोग को कुछ बदलाव करने के आदेश दिए थे. अब चुनाव आयोग ने शीर्ष अदालत के आदेश पर अमल करते हुए सिंबल लोडिंग यूनिट की हैंडलिंग और लोडिंग के साथ स्टोरेज के लिए प्रोटोकॉल में कुछ बदलाव किया है. चुनाव आयोग ने बुधवार को इसकी जानकारी दी.
यह भी पढ़ें2024 का चुनाव 'असफल कांग्रेस मॉडल' और 'सफल BJP मॉडल' के बीच : पीएम मोदी के इंटरव्यू की अहम बातें चुनाव आयोग के प्रेस नोट में बताया गया कि सभी CEO को निर्देश दे दिए गए हैं कि वो नए प्रोटोकॉल्स को लागू कराने के लिए वे जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रावधानों को बनवाएं. SLU मेमोरी यूनिट है, जिससे जरिए किसी खास सीट पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवाकों के नाम और उनकी पार्टी का सिंबल VVPAT या पेपर ट्रेल मशीनों पर अपलोड किया जाता है.
शीर्ष अदालत ने EVM निर्माताओं के इंजीनियरों को यह अनुमति दी कि वे परिणाम घोषित होने के बाद दूसरे और तीसरे स्थान पर रहने वाले उम्मीदवारों के अनुरोध पर मशीन के ‘माइक्रो कंट्रोलर' को सत्यापित कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘माइक्रो कंट्रोलर' के वेरिफिकेशन के लिए अपील नतीजे घोषित होने के सात दिनों के भीतर किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए पहले फीस देनी होगी. बेंच ने कहा,"अगर वेरिफिकेशन के दौरान यह पाया गया कि EVM से छेड़छाड़ की गई है, तो उम्मीदवार द्वारा दी गई फीस लौटा दी जाएगी.
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