सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति तीनों कृषि क़ानूनों को निरस्त करने के ख़िलाफ़ थी: रिपोर्ट

  • 📰 द वायर हिंदी
  • ⏱ Reading Time:
  • 49 sec. here
  • 2 min. at publisher
  • 📊 Quality Score:
  • News: 23%
  • Publisher: 63%

इंडिया मुख्य बातें समाचार

इंडिया ताज़ा खबर,इंडिया मुख्य बातें

सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति तीनों कृषि क़ानूनों को निरस्त करने के ख़िलाफ़ थी: रिपोर्ट SupremeCourtcommittee FarmLaws सुप्रीमकोर्टसमिति कृषिकानून

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति तीन विवादित कृषि कानूनों को पूरी तरह निरस्त नहीं करने के पक्ष में थी. समिति ने इसके बजाय निर्धारित मूल्य पर फसलों की खरीद का अधिकार राज्यों को देने और आवश्यक वस्तु कानून को खत्म करने का सुझाव दिया था.

समिति ने तीन कृषि कानूनों पर 19 मार्च 2021 को अपनी सिफारिशें सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत की थीं, जिसमें अन्य बातों के अलावा किसानों को सरकारी मंडियों के बाहर निजी कंपनियों को कृषि उपज बेचने की अनुमति देने की बात कही गई. घानवत ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले आंदोलन करने वाले 40 संगठनों ने बार-बार अनुरोध करने के बावजूद अपनी राय प्रस्तुत नहीं की.

निरस्त किए गए तीन कृषि कानून – कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य कानून, कृषक कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून और आवश्यक वस्तुएं कानून थे. तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करना दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन करने वाले 40 किसान संगठनों की प्रमुख मांगों में से एक था. रिपोर्ट में कहा गया, ‘उत्पादित किसी भी उत्पाद को व्यावहारिक मूल्य पर व्यापार करने की आवश्यकता होती है. विशेष रूप से फसल के समय कीमतों में किसी भी तरह की अनुचित गिरावट से किसानों को बचाने के लिए एमएसपी एक सांकेतिक न्यूनतम मूल्य है. सरकार के पास उन सभी 23 वस्तुओं को खरीदने के लिए खजाना नहीं है जो वर्तमान में एमएसपी के दायरे में हैं.’

 

आपकी टिप्पणी के लिए धन्यवाद। आपकी टिप्पणी समीक्षा के बाद प्रकाशित की जाएगी।

इस कमेटी में पालतु लोग थे ये पालतु गटर के कीड़े के समान हैं

The question is for who's welfare!

Now we're waiting for report of pegasus committee 🙄

हमने इस समाचार को संक्षेप में प्रस्तुत किया है ताकि आप इसे तुरंत पढ़ सकें। यदि आप समाचार में रुचि रखते हैं, तो आप पूरा पाठ यहां पढ़ सकते हैं। और पढो:

 /  🏆 3. in İN

इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें

Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।

SC द्वारा नियुक्त समिति के सदस्य का दावा, कई किसान संगठनों का था कृषि कानूनों के लिए समर्थनसुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त की गई समिति तीन कृषि कानूनों को निरस्त नहीं करने के पक्ष में थी. इसके साथ ही समिति के सदस्य का दावा है कि 85 फीसदी से ज्यादा किसान संगठन कृषि कानूनों के पक्ष में थे.
स्रोत: ABP News - 🏆 9. / 59 और पढो »

पंजाब: 'आप' के 5 राज्यसभा उम्मीदवार पार्टी के 6 पहलुओं के बारे में बताते हैंएक सेलिब्रिटी, दो पार्टी के वफादार और दो बिजनसमैन को राज्यसभा भेज कर AamAadmiParty क्या संकेत दे रही है? AdityaMenon22 AdityaMenon22 बिज़्नेस वालों को आम आदमी पार्टी राज्य सभा भेज रही है …हर भजन भी मोटी मुर्गी है ? वैसे ही भेज रही है …जैसे दिल्ली में भेज कर पार्टी मालामाल हो गई थी ? अब तो ख़ास आदमी पार्टी बन जयी है ? जय हो केजरीवाल और अन्ना हज़ारे की !🙏🇮🇳 AdityaMenon22 As usual, the best and most balanced view with historical perspective comes from Mr Pannu. The gist - Lets wait and watch if this group speaks about issues of Punjab. AdityaMenon22 That we only came to earn money in politics through backdoor
स्रोत: Quint Hindi - 🏆 16. / 51 और पढो »

कर्नाटक: हिंदू संगठनों के चलते उत्सव समिति ने मुस्लिम व्यापारियों पर बैन लगाया\nKarnataka | पहले अन्य लोगों की तरह मुस्लिमों को दुकान लगाने की अनुमति दी गई थी. पर बजरंग दल, BJP जैसे संगठनों के विरोध के बाद उत्सव समिति पीछे हट गई. भगवां तालिबान मुर्दाबाद
स्रोत: Quint Hindi - 🏆 16. / 51 और पढो »

कृषि कानूनों पर घनावत के दावों को किसान नेताओं ने बताया झूठ का पुलिंदा, कहा- यह सिर्फ कार्पोरेट के पक्ष में प्रचारकृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी के एक सदस्य अनिल घनावत के दावे को किसान नेताओं ने झूठ का पुलिंदा करार दिया है। किसान नेताओं ने कहा है कि यह सिर्फ कार्पोरेट के पक्ष में प्रचार है और कुछ नहीं।
स्रोत: Navjivan - 🏆 2. / 68 और पढो »

भारत-श्रीलंका के दूसरे टेस्ट के लिए बेंगलुरु की पिच को औसत से कम मिली रेटिंगINDvsSL| भारत और श्रीलंका के बीच अंतिम टेस्ट में पहले दिन 16 विकेट गिरे और बेंगलुरु में तीन दिनों के अंदर श्रीलंका मैच हार गया.
स्रोत: Quint Hindi - 🏆 16. / 51 और पढो »

‘द कश्मीर फाइल्स’ के सरकारी प्रमोशन के क्या मायने हैंकश्मीरी पंडितों का विस्थापन भारत की गंगा-जमुनी सभ्यता के माथे पर बदनुमा दाग़ है और उसे मिटाने के लिए तथ्यों के धार्मिक सांप्रदायिक नज़रिये वाले फिल्मी सरलीकरण की नहीं बल्कि व्यापक और सर्वसमावेशी नज़रिये की ज़रूरत है. दुर्भाग्य से यह ज़रूरत अब तक नहीं पूरी हो पाई है और पंडितों को राजनीतिक लाभ के लिए ही भुनाया जाता रहा है. वामपंथी एक मूवी से डर गए.. Nafrat Nafrat sirf Nafrat !
स्रोत: द वायर हिंदी - 🏆 3. / 63 और पढो »