इससे कंपनियों के करीब 3000 हजार करोड़ रुपए बचेंगे। कोर्ट ने 17 मई को ये फैसला सुनाया। इसमें सबसे ज्यादा राहत वोडाफोन आइडिया को मिलेगी।
सुप्रीम कोर्ट से टेलीकॉम कंपनियों को लाइसेंस फीस के हिस्से को रेवेन्यू एक्सपेंडीचर दिखाकर टैक्स छूट क्लेम के मामले में राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कंपनियों ने रेवेन्यू एक्सपेंडीचर दिखाकर जो कम टैक्स भरा है, उस रकम पर ब्याज नहीं देना होगा। दरअसल, अक्टूबर 2023 के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इन कंपनियों की लाइसेंस फीस को इनकम टैक्स एक्ट के तहत 'कैपिटल एक्सपेंडीचर' के रूप में माना जाए, न कि 'रेवेन्यू एक्सपेंडीचर' के रूप में माना जाए। इस फैसले के बाद ही इनकम टैक्स कंपनियों पर टैक्स देनदारी बढ़ी और ब्याज भी बढ़ गया था।1999 की नेशनल टेलीकॉम पॉलिसी के मुताबिक, टेलीकॉम कंपनियों को एंट्री के लिए वन-टाइम लाइसेंस फीस देनी होती थी, इसके साथ ही लाइसेंस फीस देनी होती थी जो उनके सालाना टर्नओवर के आधार पर होता था.
इसलिए टेलीकॉम कंपनियों ने तर्क दिया कि लाइसेंस फीस का जो भुगतान वन-टाइम किया गया, उसका नेचर 'कैपिटल' था, जबकि सालाना लाइसेंस फीस की प्रकृति रेवेन्यू थी। हालांकि, कोर्ट ने फैसला दिया कि वैरिएबल लाइसेंस फीस जिसका भुगतान सालाना किया जाता है, उसको रेवेन्यू के रूप में री-क्लासिफाई नहीं किया जा सकता है। इसमें कहा गया था कि, 'केवल भुगतान के तरीके पर विचार करके किसी वन-टाइम लेनदेन को कैपिटल पेमेंट और रेवेन्यू पेमेंट में बनावटी तरीके से बांटा नहीं किया जा सकता है।'इसमें टर्न-बाय-टर्न नेविगेशन के साथ ब्लूटूथ कनेक्टिविटी जैसे फीचर्स, कीमत ₹1.51 लाख4.7 सेकेंड में 0-100Kmph की स्पीड का दावा, लग्जरी कारों में रेंज रोवर स्पोर्ट से मुकाबलाअब नेपाल में MDH-एवरेस्ट मसालों पर बैन लगा, इलॉन मस्क ने X का डोमेन बदलकर x.
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