सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स द्वारा दायर एक याचिका के बाद मौजूदा लोकसभा चुनाव के पहले दो चरणों के प्रमाणिक मतदान प्रतिशत के खुलासे पर भारतीय निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा. याचिका में कहा गया है कि मतदान समाप्ति के तुरंत बाद जारी अस्थायी मतदान प्रतिशत के मुकाबले अंतिम मतदान प्रतिशत के आंकड़ों में 6% की वृद्धि देखी गई.
मतदान प्रतिशत आमतौर पर अंतिम मतदान प्रतिशत जारी होने के बाद बढ़ता ही है क्योंकि मतदान दलों को भौगोलिक रूप से चुनौतीपूर्ण इलाकों में स्थित दूर-दराज के मतदान केंद्रों से लौटने में समय लगता है, जो अन्य चीजों के अलावा मौसम की स्थिति पर भी निर्भर करता है. डेटा अपडेट करने में देरी किसी निर्वाचन क्षेत्र में पुनर्मतदान के कारण भी हो सकती है. हालांकि, इस बार अंतराल अधिक रहा है.
चुनाव आयोग के वकील ने बताया कि मतदान पूरा होने के बाद रिटर्निंग अधिकारी पूरे निर्वाचन क्षेत्र से डेटा एकत्र करता है, जिसमें समय लगता है. वहीं कुछ निर्वाचन क्षेत्र दूर-दराज के स्थानों पर हैं, कुछ अन्य निर्वाचन क्षेत्र भी हैं जहां पुनर्मतदान का आदेश दिया गया है. बता दें कि एडीआर ने 2019 में ईवीएम पर चिंता जताते हुए एक याचिका दायर की थी, उसमें ही यह आवेदन जोड़ा गया है.
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