सीमा विवाद चीन के इशारे पर शुरू नहीं हुआ; 1816 की संधि से ही यह जारी है, नेपाल 23 साल लगातार ये मुद्दे उठा रहा है

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भारत-नेपाल झगड़े पर काठमांडू की बात / सीमा विवाद चीन के इशारे पर शुरू नहीं हुआ; 1816 की संधि से ही यह जारी है, नेपाल 23 साल लगातार ये मुद्दे उठा रहा है Nepal lipulekh upyakurelgmail1 kpsharmaoli MEAIndia DrSJaishankar PMOIndia narendramodi

काठमांडू यूनिवर्सिटी में प्रोफसर उद्धब प्याकुरेल बताते हैं कि पिछले दो दशकों में भारत-नेपाल ने सीमा विवाद को खत्म करने के लिए कई कोशिशें की हैंभारत और नेपाल के बीच सरहदी झगड़ा कुछ बढ़ सा गया है। इसके कई पक्ष और किरदार हैं, पर सबसे अहम तो भारत और नेपाल ही है। भारत के पक्ष से हम कमोबेश वाकिफ हैं। जरूरी है नेपाल की नजरों से भी इसे देखा और जाना जाए। तो ये इसी की कोशिश है। बता रहे हैं प्रो.

अगर हम इतिहास में जाएं, तो यह नेपाल और भारत ही हैं जो अभी भी बॉर्डर प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। दोनों देशों के दर्जनों इलाकों पर अपने दावे और प्रतिवाद हैं। नेपाल-भारत सीमा मुद्दे पर भारत की ओर से तो शायद ही कभी आवाज आई हो, लेकिन नेपाल जो 1990 से पहले इस मुद्दे को अनौपचारिक रूप से उठाता था, अब उसने इस एजेंडे को औपचारिक रूप से टेबल पर लाना शुरू कर दिया है।

इसी तरह, 24 से 26 नवंबर 2008 में जब भारत के विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी नेपाल दौरे पर थे, तब जारी हुए संयुक्त बयान के 13वें पॉइंट में लिखा गया था कि, “दोनों मंत्रियों ने नोट किया है कि जॉइंट टेक्निकल कमिटी ने भारत-नेपाल सीमा की 98% वैज्ञानिक स्ट्रिप मैपिंग पूरी कर ली है और आगे कुछ इलाकों में सहमति के साथ मैपिंग पर हस्ताक्षर के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।" इसमें सीमा से संबंधित बाकी मुद्दों को जल्दी से सुलझाने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश भी दिए गए...

भारतीय पक्ष ने सीमा के लगभग 98% सहमत हो चुके हिस्से पर जल्द हस्ताक्षर करने का जोर दिया। नेपाली पक्ष ने सभी बाकी सीमा मुद्दों को भी हल करने की इच्छा व्यक्त की। अब क्योंकि ये सभी दस्तावेज विदेश मंत्रालय के संग्रह में हैं, इसलिए भारतीय शिक्षाविद और बुद्धिजीवी अपने सेना प्रमुख को ऐसी विवादास्पद टिप्पणी करने से पहले उन पत्रों को पढ़ने का सुझाव दे सकते थे।

इतिहास में नेपाल की सीमा को कई संधियों और समझौतों के जरिए रेखांकित किया गया है। 1816 की सुगौली संधि, ईस्ट-इंडिया कंपनी और नेपाल के बीच 1860 के दशक का समझौता जिसमें पश्चिमी नेपाल की समतल भूमि का कुछ हिस्सा वापस करने की बात हुई थी और दांग के एक छोटे से इलाके पर 1875 का एक समझौता भी इनमें शामिल है।

 

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upyakurelgmail1 kpsharmaoli MEAIndia DrSJaishankar PMOIndia narendramodi नेपाल को अपनी सीमा के अंदर रहना चाहिए और भारत भी अपनी सीमा के अंदर ही है चीन के इशारे पर नेपाल सब कुछ ऐसा कर रहा है जिस तरह से नेपाल चीन के सारे पर कर रहा है वह ठीक नहीं है नेपाल का राजनीतिक नजरिया नकारात्मक है नेपाल को सोचना चाहिए कि भारत में करोड़ों लोग उसके नागरिक रहते हैं

upyakurelgmail1 kpsharmaoli MEAIndia DrSJaishankar PMOIndia narendramodi नेपाल सरकार ने चीन के दबाव में इस मुद्दे उस समय उठाया जब चीन जब भारत का बॉर्डर पर आपसी विवाद है। अगर 23 साल से मुद्दे को उठा रहे थे तो इस समय ही क्यों aggressive ho रहे हैं मसले को बातचीत से भी सुलझा सकते थे जब ChineseVirus19 महामारी से भारत सही पूरा विश्व के गुजर रहा है।

upyakurelgmail1 kpsharmaoli MEAIndia DrSJaishankar PMOIndia narendramodi जहा जहा वामपंथी है वहा वहा झगडे और युध्द है

upyakurelgmail1 kpsharmaoli MEAIndia DrSJaishankar PMOIndia narendramodi भाई उद्धव बारह साल से उद्धव को अगर ऊद्धब कहना शुरू कर दोगे तो उसे भी ऊद्धब मान लिया जाएगा तो ये रामायण जो आप लिख रहें हो वो तो तीस साल पुरानी हैं इसलिए जो हो रहा हैं उसे ही मानने में भलाई है।पड़ोसी के कहने से खुद का घर नहीं जलाया जाता हैं नहीं घाट के भी नहीं रहोगे।राम जी की कसम!!

upyakurelgmail1 kpsharmaoli MEAIndia DrSJaishankar PMOIndia narendramodi India se sab kuchh madat lete ho. Jiss ke thaali mein khaate hi. Ussi mein chhed kar rahe ho

upyakurelgmail1 kpsharmaoli MEAIndia DrSJaishankar PMOIndia narendramodi नेपाल अपनी अनिश्चितता को निश्चिंत करना चाहता है पर वह भूल गया है कि जिस कम्युनिस्ट मानसिकता को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहा है,उसने दुनिया में अनेकों विध्वंस किए हैं,सृजन कुछ भी नहीं।चीन अपने चरम पर है और कभी भी अपने ही वज़न से धाराशाई हो सकता है। नेपाल बस सावधान व सचेत रहे।

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