सीधी या छिटुआ विधि से बुआई करें किसान, कम सिंचाई के साथ होगी ज्यादा पैदावार; खर्चा भी होगा कम

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उप कृषि निदेशक विकेश पटेल ने बताया कि किसान धान की फसल भी गेहूं की तरह लगा सकते हैं. इससे 50 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है. वहीं, नर्सरी लगाने के साथ पलेवा की जरूरत नहीं पड़ती है. इससे ज्यादा पैदावार और सूखा को बर्दाश्त करने वाली किस्म के धान की बुआई किसान कर सकते हैं.

मुकेश पांडेय/मिर्जापुर: उत्तर प्रदेश के विंध्य क्षेत्र कम पानी में धान की खेती करना चाह रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए है. विंध्य क्षेत्र मिर्जापुर में प्रचंड गर्मी में पानी की काफी समस्या होती है. सिंचाई की व्यवस्था कम होने की वजह से परेशानी होती है. अगर किसान कम सिंचाई में धान अधिक पैदावार करना चाह रहे हैं, तो सीधी बुआई करें. सीधी बुआई से किसानों को सिंचाई के लिए कम पानी का इस्तेमाल करना होगा. वहीं, पैदावार भी काफी अच्छी होगी. हल्की सिंचाई के बाद किसान सीधी बुआई करें.

छिटुआ विधि से भी बुआई कर सकते हैं किसान उप कृषि निदेशक विकेश पटेल ने बताया कि बुआई करने से उन्नतशील बीज की मात्रा एक एकड़ में 10 किग्रा होती है. किसान अगर बुआई करना चाह रहे हैं, तो हल्की नमी के बाद बुआई कर सकते हैं. किसान सीडड्रिल मशीन से आसानी से बुआई कर सकते हैं. मशीन उपलब्ध न होने पर किसान छिटुआ विधि से बुआई कर सकते हैं. खर पतवार होने पर यह दवा करें इस्तेमाल विकेश पटेल ने बताया कि धान की सीधी बुआई में एक एकड़ में 50 किग्रा नाइट्रोजन, 25 किग्रा फास्फोरस, 25 किग्रा पोटाश के दर से डालें.

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