नई दिल्ली: ये बात साल 1999 की है. कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे लेकिन पार्टी नेतृत्व खासकर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से उनकी अनबन चल रही थी. ये अलग बात है कि दोनों नेताओं ने एक साथ ही RSS और जनसंघ के जमाने से साथ-साथ राजनीति की थी और बीजेपी के दोनों बड़े चेहरा बन चुके थे. ब्राह्मण और बनिया की पार्टी कही जाने वाली बीजेपी में अटल बिहारी वाजपेयी जहां ब्राह्मण चेहरा थे तो वहीं कल्याण सिंह पिछड़े वर्ग का चेहरा बने हुए थे.
इस झगड़े का परिणाम यह हुआ कि राज्य में बीजेपी दो धड़ों में बंट सी गई. 13 महीने पहले अटल बिहारी वाजपेयी जिस सीट से 1998 में 4 लाख 31 हजार वोटों से चुनाव जीते थे, उन्हें अब 70 हजार कम वोटों से जीत दर्ज करनी पड़ी. इतना ही नहीं 1998 में यूपी में बीजेपी ने 58 सीटें जीती थीं लेकिन 1999 में यह घटकर आधी यानी 29 रह गईं. कहा जाता है कि कल्याण सिंह ने तब अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमंत्री बनने से रोकने के लिए राज्य में मतदान के दिन प्रशासन को सख्ती करने के आदेश दिए थे.
इधर, कल्याण सिंह सरकार के दो बड़े मंत्री कलराज मिश्र और लालजी टंडन उनके खिलाफ झंडा बुलंद कर रहे थे. दोनों नेताओं ने करीब छह महीने तक कल्याण सिंह के खिलाफ खुलकर मोर्चेबंदी की और जब तीसरी बार अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने तब बीजेपी ने फौरन कल्याण सिंह को हटाने का फैसला कर लिया. सियासी किस्सा - 3: मुलायम की मेहरबानी से राजा भैया ने पहली बार देखा था जुड़वां बेटों का मुंह, मायावती ने 10 महीने रखा था कैद
Citizens of Pakistan apologies to Sri Lankans on this heinous, unforgivable and shameful crime.
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