सावरकर पर विवाद क्यों

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संपादकीयः सावरकर की माफी पर विवाद क्यों? आजादी की लड़ाई में हर महापुरुष की अपनी खास रणनीति थी VeerSavarkar

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में यह कहकर सबको चौंका दिया कि स्वतंत्रता सेनानी और हिंदू महासभा के नेता वीर सावरकर ने अंग्रेजों से माफी महात्मा गांधी के कहने पर मांगी थी। उन्होंने अपने भाषण में इस दावे का कोई आधार नहीं बताया। जैसी कि अपेक्षा थी, उनके बयान पर कांग्रेस और अन्य दलों की ओर से तीखी प्रतिक्रिया सामने आई। इसे इतिहास को तोड़ने मरोड़ने की एक और कोशिश बताते हुए सवाल उठाया गया कि सावरकर की ओर से माफी की पहली अर्जी 1911 में डाली गई थी, जबकि महात्मा गांधी...

बेहतर होता, रक्षा मंत्री अपनी बात ज्यादा स्पष्टता से और तथ्यों व सबूतों का आधार बताते हुए रखते। लेकिन सवाल यह है कि आखिर देश में सावरकर की माफी को लेकर बार-बार विवाद क्यों होते रहते हैं। इसमें दो राय हो ही नहीं सकती कि देश के बीसवीं सदी के इतिहास में सावरकर की अपनी एक खास भूमिका रही है जिसकी वजह से उनका अपना एक अलग स्थान है। अगर यह तथ्य है कि उन्होंने जेल से छूटने के लिए अंग्रेजी सरकार के पास बार-बार माफीनामा भिजवाया, तो इसे स्वीकार करने में हमें कोई दिक्कत क्यों होनी...

Savarkar Controversy : जब आयरन लेडी ने खुद की थी वीर सावरकर की तारीफ, पढ़िए इंदिरा गांधी की वो चिट्ठी इस देश को लेकर, इसकी संस्कृति, इतिहास और भविष्य को लेकर, देश की आजादी के लिए लड़ी जा रही लड़ाई को लेकर उस दौर के हर महापुरुष की अपनी एक समझ, अपना एक नजरिया था जिस पर आधारित उनकी खास रणनीति थी। यह रणनीति अगर भगत सिंह को फांसी के फंदे की ओर ले गई तो उस दौर में भी उनके तमाम साथियों की उस पर सहमति ही नहीं थी। इसी तरह सावरकर की रणनीति ने उन्हें अंग्रेजी सरकार के पास माफीनामा भिजवाने को प्रेरित किया तो हमारा उनसे सहमत होना जरूरी नहीं है, लेकिन इसे लेकर शर्मिंदा महसूस करने का भी कोई कारण नहीं है। यह...

 

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2 यहाँ मिला बराबर का हक नही 1/3 ! 33.33% वोभी चुपके चुपके! एसै आता,सब तो धर्म वैदिक,भक्त ~2500 सालसे भगवा फहरवा लेरे महात्मा कब भगवा कमकर उतना हरा और उतना सफेद को ताकत दिऐ भगवा हरा बीच सफेद मतबल का,ला दिए कभी किसी ने न जाना सर्किट मुन्ना भी याद कर रेले कभी तोड़ी हड्डी नही गिनी

गांधी जी बामण वाद से भागते रहे पर सरदार उन्हे तकनिकी रोकते रहे! मै बढा तू घटा, मे! और जवाहर न्याय पाते रहे भारत बढता रहा! 2

Some Historical Facts: Savarkar was lodged in the Cellular Jail on July 4, 1911. Within six months, he submitted a petition for mercy. His second mercy petition was submitted on November 14, 1913. Gandhi Ji returned to India from South Africa only on January 9, 1915 goraspuppet

वास्तविक लड़ाई लड़ने वाले जान की परवाह किए बगैर हंस हंस कर फांसी के फंदे पर झूलते रहे, दिखावा करने वाले तब भी मलाई खाते रहे और आजादी के बाद भी मलाई खा रहे हैं। आश्चर्य होता है कि लोगों को गोली मारने,फांसी देने और जिंदा गाड़ने वाले अंग्रेज एक धोती पहनकर नाचने वाले का दोस्त थे?

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