कृषि सुधार कानूनों को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच गतिरोध बना हुआ है। दोनों पक्षों के बीच पांच दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी कोई समाधान नहीं निकल पाया है। किसान संगठनों ने आठ दिसंबर को भारत बंद का एलान किया है। वो तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि कृषि कानूनों को वापस तो नहीं लिया जाएगा, लेकिन जरूरत पड़ने पर सरकार किसानों की मांगों के मुताबिक संशोधन पर विचार कर सकती है।केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा, 'सरकार ने जो...
किसानों ने आठ दिसंबर को उन्होंने भारत बंद बुलाया है। नौ दिसंबर को सरकार और किसानों के बीच अगले दौर की बातचीत भी होने वाली है।सरकार ने कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून बनाए हैं। ये कानून हैं-कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य विधेयक, 2020, कृषक कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 और आवश्यक वस्तु विधेयक 2020। इन कानूनों के जरिये किसानों को अपने उत्पाद को कहीं भी बेचने की आजादी दी गई है। कांट्रैक्ट फाíमग के लिए एक राष्ट्रीय ढांचा बनाने का प्रावधान किया गया है। साथ ही दलहन, तिलहन,...
Right decision.Govt.should not be defensive .If law passed by parliament are scrapped on pressure of vested interest it will not only be mockery of democracy but will also be loosing relevancy of law.aajtak RajatSharmaLive BJP4India RSSorg PMOIndia myogiadityanath
These are not farmers, they are working for an agenda
ये ही तो चाहते हैं किसान
केंद्र सरकार का जो भी फैसला होगा वो किसानो के हित में होगा।
Swaminathan aayog, ne bhartiya sanvidhan ke, article 246 dekhkr, sifarish ki hai, Jo rajnetik virodhiyon ko, samjhh nahi aayegi.
होना भी नही चाहिए ।
our modi idiot can be RIP but no back/repeal of bill..this statement utters like this ..
Jay Bharti 🙏
किसानों की माँग मानेंगे लेकिन रूठी बहुरिया की तरह
Tum bhi zor laga lena sab godi media wapas lena padega sarkar ko
वापस होना भी नही चाहिए मोदी जी🙏
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