सरकार के भीतर सरकार : आखिर में जिम्मेदारी मुखिया यानी सीएम या पीएम पर ही आती है

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हर सरकार तब हैरत में पड़ जाती है, जब उसका सामना किसी गंभीर संकट से होता है। इसमें किसी न किसी की तो गलती होती है, लेकिन

कोई जिम्मेदारी नहीं लेता। आखिर में जिम्मेदारी सरकार के मुखिया यानी मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री पर ही आती है। हालांकि गहरी जांच से पता चलेगा कि वह पहले व्यक्ति नहीं हैं, जिन्हें जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।इंसेफेलाइटिस के प्रकोप ने बिहार के मुजफ्फरपुर में 140 बच्चों को लील लिया है, जिस पर गौर किया जाना चाहिए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मैनेजमेंट इन्फर्मेशन सिस्टम के मुताबिक जिले में स्थित सभी 103 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और एकमात्र सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को पांच में से शून्य रेटिंग...

ऐसे किसी उपकरण की न तो कमी है और न ही गुजरात के सबसे अमीर नगर निगमों में से एक सूरत की वित्तीय क्षमता से बाहर की चीज है, इसके बावजूद सात गरीब व्यक्तियों को मरने दिया गया। क्यों? हम इसका जवाब देने में हिचकते हैं, लेकिन कहना जरूरी हैः सरकार यानी गवर्नमेंट के भीतर एक और गवर्नमेंट है। इस स्माल-जी गवर्नमेंट ने बिग-जी गवर्नमेंट के साथ ही, कम से कम भारत में, लोगों को भी विफल कर दिया है। दो विरोधाभासी उदाहरणों से मैं इसे स्पष्ट करता हूं। नोटबंदी एक बड़ी नीतिगत भूल थी; जिन मंत्रियों ने इस नीति पर विचार किया और बिग-जी गवर्नमेंट का निर्माण किया उन्हें इसकी जिम्मेदारी लेनी...

लिहाजा सिर्फ निजी अस्पतालों की शिनाख्त करना काफी नहीं है, इस सुनियोजित अपराध में लिप्त डॉक्टरों, अस्पतालों और ठेकेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होने के साथ पीड़ित महिलाओं को हर्जाना दिया जाना चाहिए, और इसका भी ध्यान रखना चाहिए कि भविष्य में ऐसी एक भी घटना न घटने पाए। अभी कुछ दिन पहले गुजरात के सूरत में एक सेप्टिक टैंक की सफाई करते समय सात सफाई कर्मचारियों की मौत हो गई। यह पहला मौका नहीं था, जब ऐसी त्रासदी हुई और दुखद है कि यह आखिरी बार नहीं है। सेप्टिक टैंक की सफाई कोई राकेट साइंस नहीं है। इसकी सफाई के लिए मशीनें उपलब्ध हैं और केरल के एक स्टार्ट अप ने इसका एक भारतीय संस्करण तैयार किया है। यदि किसी वजह से सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति जरूरी ही हो जाए, तो इसके लिए विशेष तरह के कपड़े, मास्क और ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध...

 

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