आम चुनावों के बाद भारत में 18वीं लोकसभा गठित हो गई. नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने वाले दूसरे नेता हो गए.
विपक्ष के संविधान मुद्दे की काट के लिए बीजेपी ने आपातकाल के उन दिनों की यादें आगे कर दी हैं, जब 19 महीनों के लिए तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने देश में लोकतंत्र पर ताला लगा दिया था और राजनीतिक बंदियों से देश की जेलें भर गईं थीं.पीएम मोदी और राहुल गांधीसदन में लाए निंदा प्रस्ताव को बिरला ने पढ़ा और प्रस्ताव के जरिए कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करते हुए आपातकाल की ज्यादतियों और जुल्मों का जिक्र विस्तार से किया.
इसकी एक झलक सदन में तब देखने को मिली जब ओम बिरला के प्रस्ताव के विरोध में कांग्रेस सांसद लगातार नारेबाजी करते रहे लेकिन समाजवादी पार्टी, डीएमके और राजद जैसी पार्टियों के सदस्य चुप रहे. कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया सुले ने एक वीडियो जारी करते हुए मोदी सरकार के दस साल पर अनेक आरोप लगाते हुए उन्हें अघोषित आपातकाल की संज्ञा दी है.कांग्रेस नेता ओंकारनाथ सिंह कहते हैं, “जिस जनता ने 1977 में इंदिरा गांधी और कांग्रेस को चुनाव हराकर उन्हें आपातकाल की सजा दी थी, उसी जनता ने महज ढाई साल बाद इंदिरा गांधी को दो क्षेत्रों रायबरेली और मेडक से जिताया. कांग्रेस को 350 से ज्यादा सांसदों का विशाल बहुमत भी दिया था.
बीजेपी की कोशिश है कि दलितों आदिवासियों पिछड़ों अति पिछड़ों के बीच संविधान बदलने का भ्रम जिस तरह कांग्रेस ने फैलाया है, उसकी काट आपातकाल के तीर से ही की जा सकती है क्योंकि कांग्रेस के पास इसका कोई जवाब नहीं है. लेकिन जिस तरह के तेवर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने दिखाए हैं, उससे यह आशंका मजबूत हो गई है कि 18 वीं लोकसभा में सहयोग और संवाद नहीं बल्कि एक दूसरे को नीचा दिखाने की होड़ ज्यादा रहने वाली है.
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