जनसत्ता Updated: October 12, 2019 1:16 AM इस मुलाकात का बड़ा मकसद रिश्तों को मौजूदा स्तर से और बेहतर बनाना है। दोनों देशों की कोशिश रही है कि पाकिस्तान की वजह से रिश्तों में कहीं कोई दरार न आए। इसलिए रिश्तों को मजबूत बनाने की दिशा में तभी बढ़ा जा सकता है जब रणनीतिक संतुलन भी बना रहे। महाबलीपुरम में शुक्रवार शाम चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अनौपचारिक बातचीत ने दोनों देशों के रिश्तों में एक और आयाम जोड़ दिया है। यह दोस्ती की नई इबारत है। पिछले डेढ़ साल में यह...
इसमें कोई दो राय नहीं कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्क्रिय करने और राज्य को दो हिस्सों में बांट कर जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के भारत के फैसले से चीन भी खुश नहीं है। उसकी पीड़ा लद्दाख को लेकर ज्यादा इसलिए है कि लद्दाख क्षेत्र में भारत और चीन की विशालकाय सीमा है। चीन इस बात को भी अच्छी तरह समझ रहा है कि कश्मीर के मुद्दे पर भारत का रुख एकदम स्पष्ट है और इस पर वह किसी से कोई समझौता नहीं करेगा या कश्मीर पर वार्ता को लेकर किसी तीसरे पक्ष को बीच में नहीं आने देगा।...
ऐसे में किसी भी मुद्दे पर टकराव दोनों देशों के हितों में नहीं है। जहां तक भारत और चीन के बीच सीमा विवाद जैसे कुछ जटिल मुद्दे हैं तो उन्हें बातचीत के जरिए ही सुलझाया जा सकता है। भारत हमेशा से ही शांति और वार्ता का पक्षधर रहा है। लेकिन अतंकवाद के मुद्दे पर चीन को अपने रुख में बदलाव करना होगा। पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान किस तरह से भारत में आतंकवाद फैलाता रहा है और बड़े आतंकी हमलों से भारत को गहरे जख्म दिए हैं। ऐसे में भारत चीन से यही उम्मीद करता है कि वह आतंक के मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ न...
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