संजय कुमार का कॉलम: यह सवाल अभी बेमानी है कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है या केंद्र का, दोनों एक-दूसरे पर दोष मढ़ना बंद करें

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संजय कुमार का कॉलम: यह सवाल अभी बेमानी है कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है या केंद्र का, दोनों एक-दूसरे पर दोष मढ़ना बंद करें sanjaycsds columnist

This Question Is Meaningless Now That Health Is A State Subject Or Center, Center And State Stop Blaming Each Otherयह सवाल अभी बेमानी है कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है या केंद्र का, दोनों एक-दूसरे पर दोष मढ़ना बंद करेंसंजय कुमार, सेंटर फॉर स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज में प्रोफेसर और राजनीतिक टिप्पणीकार

कोविड के मामले बढ़ रहे थे, ऑक्सीजन की मारामारी थी, लेकिन केंद्र सरकार इस पर चुप्पी साधी रही। प्रधानमंत्री ने बाद में अपनी रैलियां स्थगित करके कुछ हद तक डैमेज कंट्रोल की कोशिश की। लेकिन, प्रधानमंत्री द्वारा रैलियां स्थगित करने के कुछ घंटों के भीतर ही चुनाव आयोग द्वारा बड़ी रैलियों पर प्रतिबंध की घोषणा से लोगों को फिर निराशा हुई, क्योंकि उन्हें लगा कि प्रधानमंत्री का निर्णय आयोग के फैसले से प्रेरित था, जिसकी उन्हें पहले से जानकारी...

पिछले साल कोविड आने पर मोदी ने राज्यों से चर्चा किए बिना ही देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा कर दी थी। इसपर उनकी आलोचना हुई थी, लेकिन इसके बावजूद भारत में कोविड के प्रसार को रोकने के लिए साहसिक फैसला लेने के लिए कुल मिलाकर उन्हें प्रशंसा ही मिली थी। यद्यपि, केंद्र सरकार ने ये सभी कदम उठाए हैं, लेकिन साथ ही उसने हमेशा ही स्वास्थ्य को राज्यों का विषय बताते हुए उन पर ही जिम्मेदारी डाली है और मौजूदा संकट के लिए राज्यों को दोषी करार दिया है। यहां महत्वपूर्ण है कि संविधान के प्रावधानों में परिवर्तन नहीं हुआ है और स्वास्थ्य पिछले साल भी राज्य का विषय था और इस बार भी है। फिर पिछले साल केंद्र ने सारी प्रशंसा खुद क्यों बटोरी और इस बार दोष राज्यों पर मढ़ने की कोशिश कर रहा...

 

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नहीं नहीं स्वास्थ्य तो माफियाओं और दलालों का विषय है सर इस देश में | दवा माफिया, कॉलेज माफिया, पर्ची से लेकर जांच रिपोर्ट और फिर दवा तक में दलाली | केन्द्र और राज्य तो बस मॉस्क हैं, इन चोरों का मुंह ढंकने के लिये |

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