Sanket Upadhyay's Column In The Politics Of UP, A Game Of Check And Match Is Going On Between BJP And SP2 घंटे पहलेशुरुआती चरणों के रुझान से अखिलेश यादव प्रसन्न दिखते हैं। कहते हैं यह साफ हो गया कि बीजेपी का सफाया होने जा रहा है। उधर बीजेपी का मानना है कि यह मुंगेरीलाल के सपने हैं। लेकिन नेता लोग चुनावी मौसम में यह सब तो बोलेंगे ही। दरअसल पश्चिम यूपी के चुनाव में बीजेपी ने हर बार ध्रुवीकरण का प्रयास किया। हमने 80 बनाम 20 की बात सुनी, उससे पहले लुंगी वाले, जाली टोपी वाले और अब्बा जान भी...
सपा को समझ आ गया है कि ऐसी बहस से सिर्फ बीजेपी को फायदा पहुंचेगा। तो ध्रुवीकरण की कोई भी बात सपा तुरंत बेरोजगारी पर ले आती है। हिजाब वाले मुद्दे को बीजेपी के तमाम नेताओं ने तूल देने की कोशिश की। लेकिन अखिलेश की चुनावी रैलियों में इसका कोई जिक्र नहीं हुआ। यहां तक कि देवबंद और अलीगढ़ में कुछ मुसलमानों का यह भी मानना है कि अखिलेश की चुप्पी गलत है।
बीजेपी को महसूस हो गया है कि अखिलेश की पार्टी की छवि पर चोट देने का एक और अवसर उनके पास है। ऐसा अवसर जो सबके दिल को छूता है- कानून व्यवस्था। बीजेपी के प्रत्याशी अपनी हर स्पीच में लगातार इस बात का जिक्र कर रहे हैं कि सपा आई मतलब कानून-व्यवस्था गड़बड़ाई। इसको यूपी सरकार में ही एक मंत्री ने मुझे समझाया। उन्होंने कहा कि सपा प्रत्याशियों की तुलना अगर आप बीजेपी प्रत्याशियों से करें तो हमारे कैंडिडेट अमूमन हलके...
जिन मंत्री से मैं बात कर रहा था उनका मानना है कि आम आदमी इसको अच्छी कानून-व्यवस्था के रूप में ही देखेगा। भले ही जनता विधायक को किसी लायक न समझे लेकिन कानून-व्यवस्था का लाभ उठा सकती है। कानून व्यवस्था की बात पर अखिलेश और उनकी पार्टी की छवि गुंडई और बदमाशी वाली रही है- चाहे फिर उनके खुद के कार्यकाल में हुए दंगे हों या उनके पिता मुलायम सिंह यादव के समय की बात हो।
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