संकट बनता ई-कचरा

  • 📰 Jansatta
  • ⏱ Reading Time:
  • 77 sec. here
  • 3 min. at publisher
  • 📊 Quality Score:
  • News: 34%
  • Publisher: 63%

इंडिया मुख्य बातें समाचार

इंडिया ताज़ा खबर,इंडिया मुख्य बातें

विकसित देशों में तो अब यह समझ बन गई है कि वे किसी भी तरह का प्रदूषण अपने यहां पैदा नहीं होने देंगे। इलेक्ट्रॉनिक कबाड़ को लेकर वहां ठोस नीतियां अपनाई जा रही हैं। पर भारत जैसे देशों की समस्या यह है कि यहां न तो जनता के स्तर पर ऐसी कोई जागरूकता है और न सरकारों को इसकी चिंता है।

आधुनिक होती जा रही मानव सभ्यता की एक बड़ी समस्या यह है कि वह कई तरह का कचरा पैदा कर रही है। यह कचरा वैचारिक भी है और भौतिक भी। वैचारिक कचरे की असंख्य मिसालें सोशल मीडिया से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर हर वक्त मिलती रहती हैं। पता नहीं कि इस कचरे से सभ्यता को कभी निजात मिल भी पाएगी या नहीं। पर भौतिक कचरे के तमाम रूपों में से एक के इलाज के बारे में कुछ कोशिशें शुरू हो चुकी हैं। यह है इलेक्ट्रॉनिक कचरा, जिससे निपटने का एक बेहतरीन उदाहरण टोक्यो ओलंपिक खेलों में पेश किया गया। ओलंपिक में विजेता...

हालांकि इससे पहले भी छिटपुट स्तर पर ऐसे प्रयोग हुए हैं। साल 2016 के रियो ओलंपिक में तीस फीसद सोने और चांदी के पदकों में कबाड़ हो चुकी कारों से निकली सामग्री का इस्तेमाल हुआ था। ओलंपिक में किए जा रहे ऐसे प्रयोगों से यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि अगर इलेक्ट्रॉनिक कचरे से निपटने के गंभीर प्रयास शुरू नहीं किए गए, तो यह प्राणी जगत लिए बड़ा खतरा बनने वाला है। यह खतरा कितना बड़ा हो सकता है, इसका आकलन चौंकाने वाला है। एक आकलन में बताया गया है कि वर्ष 2019 में विश्व स्तर पर रिकॉर्ड पांच करोड़...

बाजार में स्मार्टफोन का नया मॉडल आते ही पुराना मोबाइल कबाड़ में फेंक देते हैं और नया ले लेते हैं। इस मामले में चीन और भारत विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं जहां हर मुल्क में डेढ़ अरब से ज्यादा आबादी के पास मोबाइल फोन हैं। भारत ने चार साल पहले 2017 में एक अरब मोबाइलधारकों का आंकड़ा छुआ था। जबकि चीन यह आंकड़ा वर्ष 2012 में ही पार चुका है। आंकड़ों के मुताबिक अभी दुनिया में सिर्फ चीन और भारत ऐसे देश हैं, जहां मोबाइल धारकों की संख्या डेढ़ अरब के पार है। दावा किया जाता है कि इन दो देशों की बदौलत यह दुनिया आठ अरब...

हालांकि इस बारे में थोड़े-बहुत आकलन-अनुमान अवश्य हैं जिनसे समस्या का आभास होता है। जैसे आठ साल पहले 2013 में इंस्टीट्यूट आॅफ टेक्निकल एजूकेशन एंड रिसर्च द्वारा मैनेजमेंट एंड हैंडलिंग आॅफ ई-वेस्ट विषय पर आयोजित सेमिनार में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के विज्ञानियों ने एक आकलन करके बताया था कि भारत हर साल आठ लाख टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा पैदा कर रहा है। इस कचरे में देश के पैंसठ शहरों का योगदान है, पर सबसे ज्यादा ई-कबाड़ देश की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई में पैदा हो रहा है। दुनिया के कुछ दूसरे शहरों की तुलना...

 

आपकी टिप्पणी के लिए धन्यवाद। आपकी टिप्पणी समीक्षा के बाद प्रकाशित की जाएगी।
हमने इस समाचार को संक्षेप में प्रस्तुत किया है ताकि आप इसे तुरंत पढ़ सकें। यदि आप समाचार में रुचि रखते हैं, तो आप पूरा पाठ यहां पढ़ सकते हैं। और पढो:

 /  🏆 4. in İN

इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें

Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।

अफगान संकट पर हरदीप सिंह पुरी ने बताया, देश में CAA लागू करना क्‍यों है जरूरीअफगान संकट का जिक्र करते हुए केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ट्वीट कर लिखा कि हमारे पड़ोस की ताजा घटना और जिस तरह सिख और हिंदुओं के साथ वहां बर्ताव बताता है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) लागू करना क्‍यों जरूरी है। HardeepSPuri जरूरी तो है फिर नियम कानून बनाने में 2 साल क्यों लग रहा है? अफगान संकट ने यह तो साबित किया है की CAA क्यों जरूरी है. अब कम से कम पीड़ित हिंदू तथा सिखों हो तो भारत मैं शरण भी मिल सकती है और एक समय के बाद नागरिकता भी....😎
स्रोत: Dainik Jagran - 🏆 10. / 53 और पढो »

अफगानिस्‍तान की भूलभुलैया है पंजशीर, तालिबान के लिए आसान नहीं है इस पर कब्‍जा करनापहाड़ों से घिरी पंजशीर घाटी को जीतना तालिबान के लिए आसान नहींं है। बेहद दुर्गम क्षेत्र होने की वजह से ही इसको यहां की भूलभुलैया कहा जाता है। यहां के नेता अहमद मसूद को पंजशीर का शेर कहा जाता है।
स्रोत: Dainik Jagran - 🏆 10. / 53 और पढो »

पंजशीर से आखिर क्यों खौफ खाता है तालिबान, अहमद मसूद बोले- 'डिक्शनरी में नहीं है सरेंडर'तालिबान की तरफ से ये ख़बर फैलाई गई थी कि अहमद मसूद सरेंडर करने को तैयार हो गए हैं, हालांकि जब फ्रांसीसी दार्शनिक बनार्ड हेनरी लेवी ने उनसे फोन पर बात की तो उन्होंने कहा कि मेरी डिक्शनरी में सरेंडर नहीं है. नॉदेर्न एलाइंस को सपोर्ट करना होगा भारत, रूस, ईरान ताजकिस्तान को, अगर तालिबान को खत्म करना हो तो, ये खूनी आतंकी तालिबानका इलाज करना पंचशीर के सेर योद्धा बोहूत अच्छा आता है जाबाज अहमद शाह मसूद के जाबाज बेटा अहमद मसूद सपोर्ट करनाई होगा अमेरिका और भारत को अगर देर किया तो पछताना होगा हिम्मत और ताकत PANJSHIR WALE ASHLI INSHAN HAIN JO APNI AURRTON KO CHODE KE NAHI BHAGE
स्रोत: NDTV India - 🏆 6. / 63 और पढो »

'अगर PAK इस्तेमाल करता है बंदूकें, तब हमारे डंडे प्रयोग करने में गलत क्या है?'सिन्हा ने यह बातें पत्रकार बशीर असद की किताब 'कश्मीर: दि वॉर ऑफ नैरेटिव्स' के विमोचन के मौके पर कहीं।
स्रोत: Jansatta - 🏆 4. / 63 और पढो »

अफगानिस्तान संकट: 26 को सरकार ने बुलाई सर्वदलीय बैठकअफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद बिगड़ते हालात के मद्देनजर सरकार ने 26 अगस्त को सर्वदलीय बैठक बुलाने का फैसला Koi war karne ja rahe hai kya jo all party meeting kar rahe hai? Sir modi gee is sarv daliye badhak me dyan is bat ka dena padega agar t.trait nahi chalu karta hai to dushere desh jaha ye saman mile use turant chalu kare or t par bhiter se sa dik lekin bahar se mv di .
स्रोत: Amar Ujala - 🏆 12. / 51 और पढो »

पाकिस्तान के विदेश मंत्री बोले, संकट से निकलने में अफगानिस्तान की मदद करे वैश्विक समुदाययूरोपीय आयोग के वाइस प्रेसीडेंट जोसेफ बोरेल के साथ बातचीत के दौरान कुरैशी ने अफगानिस्तान में बदलती स्थितियों पर पाकिस्तान का दृष्टिकोण साझा किया। साथ ही कहा कि पाकिस्तान की सर्वोच्च प्राथमिकता अफगानिस्तान में सुरक्षा सुनिश्चित करना और अफगानी लोगों का संरक्षण है। अफ़ग़ानिस्तान संकट पैदा करने वालों को वैश्विक समुदाय दंडित करे। सारे वो देश जो मुस्लिम नहीं है उन सभी को ऐलान कर देना चाहिए कि वो किसी भी मुस्लिम शरणार्थी को शरण कभी नहीं देंगें.... शरण देना है तो मुस्लिम देश दे सकते हैं..... तब कुछ बात बने...... कौन सा खतरा ,इनके मुख पाकिस्तान की ओर मुड़ने वाले है,तहरीके ए तालिबान का निमंत्रण आ चुका है।
स्रोत: Dainik Jagran - 🏆 10. / 53 और पढो »