वोटिंग मशीन पर रार: जब आडवाणी ने कहा था ईवीएम से चुनाव ठीक नहीं, तो एक भाजपा नेता ने बताया था लोकतंत्र के लिए खतरा

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बात सन् 2009 की है। तब सत्ता में कांग्रेस थी और भाजपा कई राज्यों में चुनाव हार रही थी। उस वक्त भाजपा के पुरोधा नेता लालकृष्ण

आडवाणी ने चुनाव आयोग से लेकर ईवीएम पर तमाम सवाल खड़े कर दिए थे। यही नहीं भाजपा नेता और मौजूदा सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव ने तो बाकायदा 'इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से लोकतंत्र को खतरे' पर एक किताब तक लिख डाली थी। वक्त बदला और भाजपा सत्ता में आई तो कांग्रेस के सुर बदल गए। अब कांग्रेस से लेकर सभी विरोधी पार्टियां ईवीएम का विरोध कर रही हैं। यानी जो चुनाव हारता है वह सबसे ज्यादा आरोप इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर ही लगाना शुरू कर देता है। असम में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी की गाड़ी में बरामद...

भाजपा ने तो ईवीएम का इस कदर विरोध किया कि पार्टी के वरिष्ठ नेता जीवीएल नरसिम्हा राव ने 'डेमोक्रेसी एट रिस्क, कैन वी ट्रस्ट अवर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन' यानी लोकतंत्र खतरे में, क्या हम अपनी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर भरोसा कर सकते हैं, जैसे विषय पर किताब तक लिख डाली। ईवीएम के इस विरोध पर लिखी गई किताब में लालकृष्ण आडवाणी ने प्रस्तावना लिखी थी और आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू का संदेश भी लिखा गया...

ईवीएम पर सवाल उठाने वालों का सिलसिला यहीं नहीं रुका। देश की बड़ी-बड़ी पार्टियां जब चुनाव हारती रहीं तो सबसे पहले उन्होंने खुद का आत्ममंथन करने की बजाय ईवीएम पर ही सवाल दागने शुरू किए। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने तो 2017 में चुनाव आयोग के खिलाफ ऐसा बिगुल फूंका कि केजरीवाल के विधायक सौरभ भारद्वाज ने खुलेआम ईवीएम को हैक करने का डेमो तक कर डाला। भारद्वाज ने सदन में बताया कैसे 5-स्टेप में ईवीएम को हैक किया जा सकता है। दरअसल केजरीवाल की आम आदमी पार्टी पंजाब और...

ईवीएम के विरोध का दौर चलता रहा और पांच साल गुजर गए। फिर चुनाव हुए और भाजपा बंपर तरीके से चुनाव जीत कर सत्ता में आ गई। इसी के साथ भारतीय जनता पार्टी का ईवीएम के खिलाफ किया जाने वाला लंबा विरोध भी समाप्त हो गया। अब बारी कांग्रेस की थी। 2009 में जो आरोप भाजपा लगा रही थी, चुनाव हारने के बाद वही आरोप कांग्रेस पार्टी ने लगाने शुरू कर दिए।

मजेदार वाकया तो सन 2009 का एक और भी है। 2009 में चुनाव हारने के बाद भारतीय जनता पार्टी जब पूरे देश में ईवीएम पर सवाल उठा रही थी, ठीक उसी वक्त उड़ीसा कांग्रेस के नेता जेबी पटनायक ने ईवीएम पर सवाल खड़े कर दिए। दरअसल उड़ीसा में कांग्रेस चुनाव हार चुकी थी और वहां पर बीजू जनता दल सरकार बना रही थी। चुनाव हारने पर कांग्रेस ने सबसे पहले ठीकरा ईवीएम पर ही फोड़ा था। एक और मजेदार वाकिया 2014 का भी है। जब भारतीय जनता पार्टी 2014 में रिकॉर्ड मतों से चुनाव जीती, तो असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने सबसे पहले...

 

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तभी सुन लेते....

जो लोग यह कहते हैं ईवीएम से चुनाव कराना ठीक नहीं मैं तो कहता हूं ऐसा कहने वाले वह भेड़िए की नस्लें वह है जो अपने बाप को भी बाप नहीं कहता ऐसे लोगों के बाप दो होते हैं जब ईवीएम से जीत जाते हैं तो पहले बाप को गद्दी पर बिठा देते हैं और ईवीएम से हार जाते हैं दूसरे बाप का सर उठा देते

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