उन्होंने पिछले कार्यकाल में मुख्यमंत्री रहते हुए भी कई बार यह कहा था कि वह अपने जीवन पर एक किताब लिखना चाहते हैं। बीच में स्वास्थ्य ठीक नहीं होने और अन्यत्र व्यस्तता के कारण वह इसके लिए वक्त नहीं दे सके। वीरभद्र अपने जीवन को हमेशा खुली किताब बताते थे।
आपको बता दें कि वीरभद्र का निधन सुबह 3.40 बजे हुआ। दोबारा कोरोना पॉजिटिव आने के बाद से वह शिमला के आईजीएमसी में उपचाराधीन थे। वरिष्ठ कांग्रेस नेता के निधन से प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई है। लोकसभा के लिए वह पहली बार 1962 में चुने गए। उसके बाद 1967, 1971, 1980 और 2009 में भी चुने गए। वीरभद्र 983 से 1985 पहली बार, फिर 1985 से 1990 तक दूसरी बार, 1993 से 1998 में तीसरी बार, 1998 में कुछ दिन चौथी बार, फिर 2003 से 2007 पांचवीं बार और 2012 से 2017 छठी बार मुख्यमंत्री बने। अभी वीरभद्र सिंह अर्की से विधायक थे। उनके पास केंद्रीय इस्पात मंत्रालय रह चुका। इसके अलावा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय भी उनके पास रहा। उन्होंने पिछले कार्यकाल में मुख्यमंत्री रहते हुए भी कई बार यह कहा था कि...
RIP 💐