मैंने कहा था या नहीं कहा था कि न खाऊंगा, न खाने दूंगा?कभी नहीं कहा था। आप ऐसी गलत बात कह ही नहीं सकते।और जब मैंने खाना शुरू किया तो किसी से कहा कि खा रहा हूं?नहीं कहा था।क्या खाने के समय यह घोषणा करना चाहिए कि मैं खा रहा हूं? क्या सनातन परंपरा के यह अनुरूप है? हम भारतीय चुपचाप खाते हैं या मुनादी करके खाते हैं ? चुपचाप खाते हैं।खाना गलत है या नहीं खाना गलत है ? नहीं, खाना, खाना तो गलत नहीं है। तो मैंने खाकर गलत किया या सही किया? भूखे थे तो गलत नहीं किया पर भूखे थे क्या? चुप रहो। अच्छा आप ये बताओ...
है। तुम जानते हो न मुझे? हां आपको अब बहुत ही अच्छी तरह जानने लगे हैं और अपने आप को भी उतनी ही अच्छी तरह जानने लगे हैं। मैं तुम्हारी नागरिकता छीन लूंगा। छीनने की कोशिश करके देखो तो। इतना आसान है सब क्या? तुम मुझे चुनौती दे रहे हो? मुझे? जनता होकर तुम्हारी इतनी हैसियत कब से हो गई? सोच लो एक बार फिर अच्छी तरह से। सोच लिया। मैं तुम्हारा पांच किलो अनाज छीन लूंगा। हम तुम्हारी अकड़ हमेशा -हमेशा के लिए छीन लेंगे।आप समझो मेरी बात को। आप पहले की तरह फिर से अच्छे बच्चे क्यों नहीं बन जाते? मेरी हर बात में...
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